गाजियाबाद । दिल्ली से सटे गाजियाबाद में स्थित एक हनुमान मंदिर में ड्रेस कोड लागू हो गया है। यह सुनकर आपको भले ही आश्चर्य हो रहा हो ,लेकिन यह सच है। यहां मंदिर के गेट के बाहर बाकायदा एक बोर्ड लगाया गया है, जिसमें मंदिर समिति और मंदिर के महंत के द्वारा निर्देशित किया गया है कि कोई भी भक्त छोटे वस्त्र पहनकर मंदिर में ना आएं। यानी जो भक्त छोटे वस्त्र पहनकर इस मंदिर में प्रवेश करेंगे तो उन्हें रोक दिया जाएगा। मंदिर समिति और मंदिर के महंत का मानना है कि छोटे वस्त्र पहनकर आने वालों के कारण अन्य लोगों की आस्था पर चोट पहुंचती है और उनकी पूजा भंग होती है इसलिए जो यह निर्णय लिया गया है। उनका कहना है कि ये निर्णय सभी भक्तों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। वहीं मंदिर में आने वाले कुछ भक्त भी मंदिर समिति और महंत के इस निर्णय को सही करार दे रहे हैं।

इस मंदिर में ड्रेस कोड हुआ लागू
गाजियाबाद के राज नगर सेक्टर-23 में हनुमान मंदिर है, जो काफी प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस मंदिर में आने वाले लोगों की सभी मनोकामना पूरी होती हैं। अब इस मंदिर के गेट के बाहर एक बोर्ड लगाया गया है, जिस पर मंदिर समिति और महंत के द्वारा एक संदेश दिया गया है कि मंदिर में छोटे वस्त्र पहनकर आना सख्त मना है, जिनमें महिला और पुरुष दोनों ही शामिल हैं।

मंदिर के पुजारी और परमार्थ समिति के अध्यक्ष वीके अग्रवाल का कहना है कि अक्सर देखने में आया है कि कुछ भक्त छोटे वस्त्र जैसे यानी हाफ पैंट, स्लीवलेस, निक्कर, टीशर्ट व तौलिया आदि पहन कर कुछ मंदिर में आते हैं। भले ही रहे पूजा अर्चना करने आते हैं। लेकिन छोटे वस्त्र होने के कारण उनके शरीर के अंगों का काफी हिस्सा दिखाई देता है, जिससे अन्य भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है साथ ही उनकी पूजा भी भंग होती है। भक्तों द्वारा ही जब छोटे वस्त्र पहनकर आने वाले लोगों के बारे में टिप्पणी की गई तो अब मंदिर समिति ने भी यही निर्णय लिया है कि मंदिर में आने वाले सभी लोग इस बात का विशेष ध्यान रखें कि छोटे वस्त्र पहनकर मंदिर में ना आएं।

मुख्य ट्रस्टी वीके अग्रवाल का कहना है कि छोटे वस्त्र पहनकर मंदिर में आकर पूजा करना भारतीय संस्कृति के लिए उचित नहीं है। इसलिए इसे गंभीरता से लेते हुए मंदिर के गेट पर बोर्ड लगाकर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है। इस बात को लेकर पड़ताल की गई और मंदिर में आने वाले अन्य भक्तों से जानकारी की गई तो उन्होंने भी मंदिर समिति और महंत के इस फैसले को सही ठहराया है। भक्तों ने यहां तक कहा कि केवल इसी मंदिर में नहीं सभी मंदिरों में इस तरह का नियम लागू होना चाहिए।