नई दिल्ली। दिल्ली चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। 27 साल बाद यहां कमल खिला है और इस लंबे वनवास के बाद भाजपा के हिस्से आई ये जीत बहुत खास है। सीएम और मंत्रियों के शपथग्रहण के बाद भारतीय जनता पार्टी के सामने भी चुनौतियां कम नहीं हैं। सबसे पहला वादा दिल्ली की महिलाओं को हर महीने 2500 रूपये देने का है। इस वादे को पूरा करने के लिए दिल्ली की नई सरकार पर सालाना 11000 करोड़ रुपये का बोझ या इससे ज्यादा पड़ने की संभावना है। इस वित्तीय वर्ष का बजट 76,000 करोड़ रुपये है। इसमें सबसे ज्यादा खर्च 22% शिक्षा के लिए रखा गया है।
दिल्ली चुनाव के वादों में सबसे बड़ा वादा महिलाओं को लुभाने के लिए बीजेपी ने 2500 रुपये महीने वाली योजना का दांव खेला था। नतीजा यह हुआ कि इस बार दिल्ली की महिलाओं ने भी आम आदमी पार्टी के 2100 रुपये वाले वादे को दरकिनार करते हुए भाजपा को ही वोट दिया। आम आदमी पार्टी ने भी अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में यह तय किया है कि सबसे पहले भाजपा से यह वादा पूरा करवायेंगे। आतिशी ने आज पत्रकारों से कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि महिलाओं को 8 मार्च तक ये रकम दिलवाएं और जो काम AAP सरकार ने 10 साल में किए थे, BJP सरकार उन कामों को ना रोके।
सूत्रों ने कहा कि नई और चल रही कल्याणकारी योजनाओं के खर्चों को पूरा करने के लिए,नई दिल्ली सरकार को सालाना 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की आवश्यकता होगी, जिसमें आप सरकार की मुफ्त पानी और बिजली योजनाओं को जारी रखने के लिए 11,000 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। केंद्र शासित प्रदेश के मसले पर भी बात हुई। एक सूत्र ने कहा कि यह देखते हुए कि आप सरकार 18,000 करोड़ रुपये की वित्तीय देनदारी के तहत चल रही थी,नई सरकार को अपने राजस्व वितरण में कठोर होना होगा और सभी नई कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन देने के लिए पूंजीगत व्यय या अन्य क्षेत्रों से धन निकालना होगा। दूसरा विकल्प केंद्र से मदद मांगना हो सकता है। नई सरकार को अपने वादों की योजनाओं के लिए धन जुटाने के लिए एक महीने का समय मिलेगा,क्योंकि नए वित्तीय वर्ष का बजट मार्च में पेश किया जाएगा।
महिलाओं के लिए 2,500 रुपये की मासिक गारंटी के लिए, जिसके लिए आय मानदंड अभी तय किया जाना बाकी है, राजकोष पर भारी बोझ पड़ने की उम्मीद है। जबकि नई सरकार हिसाब-किताब कर रही है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहले आप द्वारा प्रस्तावित एक समान योजना के लिए लगभग 38 लाख महिलाएं योग्य थीं। इसके लिए वार्षिक लागत 11,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान था।
पेंशन के वादे की बात करें, तो चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में 60 वर्ष से अधिक आयु के 24,44,476 निवासी हैं, जिनमें से 13,78,797 रुपये 2,500 (60-69) के ब्रैकेट में हैं। पेंशन योजना के इस हिस्से के लिए सालाना 4,100 करोड़ रुपये के आवंटन की आवश्यकता होगी। भाजपा द्वारा किए गए अन्य वादे – जैसे यमुना को साफ करना, जो इस चुनाव के सबसे बड़े मुद्दों में से एक बन गया और तीन साल में दिल्ली के लैंडफिल के लिए भी पर्याप्त आवंटन की आवश्यकता होगी। वर्षों से सरकार ने यमुना पर लगभग 8,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।