राजगढ़ । राजगढ़ संसदीय सीट पर कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कोलोकसभा चुनाव में MP की राजगढ़ संसदीय सीट पर होंगे 384 कैंडिडेट? उम्मीदवार बनाया है. यहां उनका मुकाबला दो बार के सांसद बीजेपी कैंडिडेट रोडमल नागर से है. अब मध्य प्रदेश के राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठ रहा है कि क्या देश की संसदीय इतिहास में सबसे ज्यादा कैंडिडेट वाला इलेक्शन राजगढ़ सीट पर होने जा रहा है?

दरअसल, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राजगढ़ संसदीय सीट पर ईवीएम (EVM) की बजाय मतपत्र (Ballot Paper) से चुनाव कराने के लिए मुहिम छेड़े हुए हैं. दिग्विजय सिंह ने इसके लिए पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर राजगढ़ लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए 384 कैंडिडेट तैयार करने की बात कही थी. उनकी यह मुहिम अब सफल होती दिख रही है.

कहा जा रहा है कि पूरे प्रदेश से दिग्विजय सिंह समर्थक राजगढ़ पहुंचने वाले हैं, जो अपने नेता (दिग्विजय सिंह) के साथ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल करेंगे. राजगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस के कैंडिडेट दिग्विजय सिंह का मानना है कि यदि उनको मिलाकर 384 उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल करते हैं तो यहां पर निर्वाचन आयोग को मतदान ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से करवाना पड़ेगा.
जबलपुर की पूर्व महापौर और पूर्व विधायक कल्याणी पांडेय ने एबीपी लाइव से चर्चा में कहा कि दिग्विजय सिंह उनके गुरु भाई हैं. राजगढ़ सीट पर ईवीएम की जगह बैलट पेपर से चुनाव कराने की दिग्विजय सिंह की मुहिम को सफल बनाने के लिए वह भी अपना नामांकन दाखिल करेंगी. कल्याणी पांडेय ने कहा कि वह जल्द ही राजगढ़ जाने वाली है.

‘हमेशा से ईवीएम (EVM) से वोटिंग के खिलाफ रहा हूं’
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह लगातार ईवीएम पर सवाल उठाते रहे हैं.राजगढ़ संसदीय सीट पर ईवीएम की जगह बैलट पेपर से मतदान करने के लिए दिग्विजय ने नया रास्ता ढूंढा है. उन्होंने इसके लिए पिछले दिनों सोशल मीडिया ‘X’ पर एक कैंपेन शुरू करते हुए लिखा है, “मैं हमेशा से ईवीएम (EVM) से वोटिंग के खिलाफ रहा हूं, जब तक कि मेरे हाथ में मतपत्र न हो. अब राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में एकमात्र विकल्प में 384 से अधिक उम्मीदवार खड़े करना है,ताकि हमारे पास बैलेट पेपर से मतदान हो.”

एडवोकेट का नंबर किया जारी
उन्होंने आगे लिखा, “मैं उन सभी लोगों को आमंत्रित करता हूं जो बैलेट पेपर से मतदान करना चाहते हैं. उनका मध्य प्रदेश के राजगढ़ संसदीय सीट से नामांकन दाखिल करने के लिए स्वागत है, जहां मैं कांग्रेस का उम्मीदवार हूं. यदि आप ऐसा करने का निर्णय लेते हैं, तो नामांकन 12 अप्रैल से शुरू होंगे और अंतिम तिथि 19 अप्रैल है. आपकी सहायता के लिए या यदि आपको किसी भी जानकारी की आवश्यकता है तो कृपया एडवोकेट आफ़ताब जमील से +91 96440 43112 पर संपर्क करें.”

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक अन्य पोस्ट में लिखा, “चूंकि ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग पर कोई निर्णय नहीं होने के कारण अब केवल एक ही विकल्प बचा है, 384 से अधिक उम्मीदवार यदि नामांकन भरते हैं तो ही बैलट पेपर से चुनाव हो पाएगा.”

इस कारण कराना होगा बैलेट पेपर से चुनाव
वहीं, इस संबंध में एक्सपर्ट का कहना है कि दिग्विजय सिंह यदि अपने अभियान में सफल होते हैं तो इलेक्शन कमीशन को राजगढ़ में बैलट पेपर से ही चुनाव करवाना होगा.हालांकि,पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत के मुताबिक ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन तकनीकी तौर पर से ईवीएम में नोटा समेत 384 उम्मीदवारों तक के नाम दर्ज किए जा सकते हैं. इससे एक भी उम्मीदवार का नाम ज्यादा होने पर बैलेट पेपर से चुनाव कराना होगा.

भारत में ईवीएम का इतिहास
भारत में पहली बार चुनाव आयोग ने 1977 में सरकारी कंपनी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (ECIL) को ईवीएम (EVM) बनाने का टास्क दिया था. 1979 में ईवीएम का पहला प्रोटोटाइप पेश किया, जिसे 6 अगस्त 1980 को चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों को दिखाया. मई 1982 में पहली बार केरल में विधानसभा चुनाव ईवीएम से कराए गए.उस समय ईवीएम से चुनाव कराने का कानून नहीं था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम द्वारा मतदान को चुनौती दी गई, जिसके बाद उन चुनावों को रद्द कर दिया गया.

इसके बाद, 1989 में रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 में संशोधन किया गया.इसमें ईवीएम से चुनाव कराने की बात जोड़ी गई. हालांकि, कानून बनने के बाद भी कई सालों तक ईवीएम का इस्तेमाल नहीं हो सका. 1998 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 25 विधानसभा सीटों पर प्रायोगिक तौर पर ईवीएम से चुनाव कराए गए. इसके बाद 1999 में 45 लोकसभा सीटों पर भी ईवीएम से वोट डाले गए.

फरवरी 2000 में हरियाणा के चुनावों में भी 45 सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल हुआ.मई 2001 में पहली बार तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल की सभी विधानसभा सीटों पर ईवीएम से वोट डाले गए.साल 2004 के लोकसभा चुनाव में सभी 543 सीटों पर सीट पर ईवीएम में बटन दबाकर वोट डाले गए.तब से लोकसभा और विधानसभा के सभी चुनाव में ईवीएम से वोटिंग की शुरुआत हो गई