भोपाल: मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार को 8 महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन अभी भी मध्य प्रदेश में मंत्रियों को जिले का प्रभार नहीं मिल पाया है. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि स्वतंत्रता दिवस के पहले मंत्रियों को उनके जिलों के प्रभार दे दिए जाएंगे, जिससे वह अपने प्रभार वाले जिलों में जाकर ध्वजारोहण करें.

मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव सरकार में 33 कैबिनेट मंत्री हैं जबकि मध्य प्रदेश में 55 जिले हैं. ऐसे में कई स्थानों पर 15 अगस्त को जिलाधीश के जरिये ध्वजारोहण किया जाएगा. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पिछले दिनों यह संकेत दिया था कि मध्य प्रदेश में कैबिनेट मंत्रियों को अलग-अलग जिलों का प्रभाव सौंप जाएगा.

यह भी कहा गया था कि स्वतंत्रता दिवस के पहले जिलों का बंटवारा हो जाएगा. इसी उम्मीद के साथ यह कयास लगाया जा रहा हैं कि एक-दो दिनों में कैबिनेट मंत्रियों को उनके जिलों की जिम्मेदारी मिल सकती है. भारतीय जनता पार्टी के सह मीडिया प्रभारी के मुताबिक, जिले का प्रभार बांटना मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में आता है, ऐसे में वह जब भी उचित समझेंगे मंत्रियों को प्रभार दे दिया जाएगा.

मध्य प्रदेश सरकार में पूर्व में भी मंत्रियों को अलग-अलग जिलों का प्रभार दिया जाता रहा है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि जिले के प्रभारी मंत्री बनने के बाद जनप्रतिनिधियों के जरिये उस जिले के संपूर्ण विकास को लेकर हमेशा नजर रखी जाती है. इसके अलावा किसी भी परिस्थिति में वह सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अपने जिले में आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा भी लेते हैं. सरकार की योजना प्रभारी मंत्रियों के जरिये त्वरित निर्णय लेकर जनता तक पहुंचाई जाती है. प्रभारी मंत्री को जिले का मुख्यमंत्री माना जाता है. इस प्रकार से विकास कार्यों और अन्य कई परिस्थितियों में प्रभारी मंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है और पार्टियों की जनता में पैठ और विश्वास बनी रहती है.

मध्य प्रदेश के संभागीय मुख्यालय पर ऐसे सीनियर विधायक और मंत्रियों को प्रभार मिलेगा जो पूर्व में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर सफलतापूर्वक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर चुके हैं. अगर मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों की बात की जाए तो उज्जैन, इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर जैसे बड़े शहरों का प्रभार सीनियर मंत्री को मिलेगा. यह भी संभावना है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव खुद भी किसी जिले का प्रभार ले सकते हैं.