उज्जैन। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन के राजा सिर्फ बाबा महाकाल हैं। इनके अलावा इस नगरी में पद पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति रात नहीं गुजारता है। अगर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और किसी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री व दिग्गज नेता उज्जैन में एक भी रात रूक जाते हैं तो वह सत्ता से बाहर हो जाता है। आज के पूर्व दो बार यह बात सच भी हो चुकी है। क्योंकि भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक रात उज्जैन में रुके थे और दूसरे दिन ही उनकी सरकार गिर गई थी। वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पाने भी उज्जैन में रात्रि विश्राम किया था, जिसके 20 दिन बाद उन्हें अपने पद से त्याग पत्र देना पड़ा था। इन दो उदाहरण के बावजूद भी मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव आज रात्रि को उज्जैन में ही प्रवास करने वाले हैं। उनके कार्यक्रम के मुताबिक, वह यहां रुकेंगे और इस मिथक को भी तोड़ेंगे की उज्जैन में रात्रि गुजारने से पद पर रहने वाले की सत्ता चली जाती है।
मोहन यादव विकसित भारत संकल्प यात्रा के शुभारंभ को लेकर उज्जैन आ चुके हैं। जहां वह इस कार्यक्रम में शामिल होने के बाद शहर में निकाली जाने वाली भव्य स्वागत यात्रा मे देर रात तक शामिल होंगे और उसके बाद रात भी यहीं पर गुजारेंगे। उनके कार्यक्रम के अनुसार, वह कल रविवार दोपहर को उज्जैन से 1:25 पर उज्जैन से श्योपुर के लिए रवाना होंगे। डॉ मोहन यादव आज विकसित भारत संकल्प यात्रा के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल होने के बाद भव्य स्वागत रैली में शामिल होंगे, जो कि आज देर रात्रि तक नगर मे धूमधाम से निकाली जाएगी। उसके बाद बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव आज की रात उज्जैन में ही रूकेंगे।
इस विषय में जब श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि डॉ मोहन यादव उज्जैन के निवासी हैं और उनका जन्म भी उज्जैन में ही हुआ है। इस नाते वह किसी भी पद पर क्यों न पहुंच जाएं, लेकिन वह बाबा महाकाल की नगरी में तो सेवक के रूप में ही रहेंगे। उन्होंने बताया कि वैसे भी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव बाबा महाकाल को अपना इष्ट देव मानते हैं। इसीलिए अगर वह उज्जैन में रुकते भी हैं तो उन पर इस मिथक का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यदि वे भरत की तरह कुशा के आसन पर विश्राम करें और बाबा महाकाल का नाम लेकर ही अपना राज्य संभालते हैं तो भी उन्हें ऐसी कोई अड़चन आने वाली नहीं है।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के उज्जैन में रुकने के मिथक को लेकर जब महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि यह मिथक गलत नहीं है। पूर्व में इसके कुछ दोष और उदाहरण देखने को भी मिले हैं। लेकिन डॉ. मोहन यादव पुत्र हैं और बाबा महाकाल पिता। पिता की नगरी में पुत्र के रहने पर ऐसा कोई दोष नहीं होता है। अगर डॉक्टर मोहन यादव उज्जैन में रात गुजारते हैं तो उन्हें बाबा महाकाल का आशीर्वाद ही प्राप्त होगा। डॉ. मोहन यादव की जन्म, कर्म और धर्मस्थली एक ही है, इसीलिए भी उन पर इसका कोई दोष नहीं होगा। पूर्व में उज्जैन में रात गुजारने पर राजनेताओं की सत्ता जाने के बारे में आपने बताया कि जन्मस्थली अलग होने के कारण भी इसका प्रभाव पड़ता है।