अशोकनगर । मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान लगातार हर विधानसभा सीट का दौरा कर रहे हैं। वो हर जिले में जा रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान कभी भी अशोकनगर मुख्यालय नहीं आए। दरअसल, मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिला मुख्यालय को लेकर एक मिथक है। जिसमें कहा जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री अशोकनगर मुख्यालय (अशोकनगर का शहरी इलाका) आता है। उसे सीएम की कुर्सी गंवानी पड़ती है। कई पूर्व सीएम हैं जिनके अशोक नगर मुख्यालय आने के बाद उनकी कुर्सी चली गई। इसी कारण मध्यप्रदेश में करीब 18 साल से मुख्यमंत्री रहते हुए शिवराज सिंह चौहान यहां नहीं गए।

क्या है राजराजेश्वर मंदिर का रहस्य
जिला मुख्यालय पर मुख्यमंत्री के नहीं आने का कारण शहर का अति प्राचीन राजराजेश्वर महादेव मंदिर से भी जोड़ कर देखा जाता है। प्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित कैलाशपति नायक ने बताया कि शहर में राजराजेश्वर महादेव ही शहर में राजा के रूप में विराजमान हैं। भगवान शिव-पार्वती केवल यहां पर राजा-रानी के रूप विराजमान है। मंदिर के पुजारी केशव बोहरे का कहना है कि यदि कोई भी नेता यदि आकर शिव पार्वती जी के मंदिर में आकर पूजन अर्चन करता दर्शन करता है तो शुभ ही होगा। नहीं करता है तो अशुभ होता है।

किन-किन सीएम की जा चुकी है कुर्सी
1975 में जब कांग्रेस की सरकार थी तब प्रकाश चंद्र सेठी मुख्यमंत्री रहते हुए अशोकनगर में एक अधिवेशन में आए इसके कुछ दिन बाद ही राजनीतिक कारणों से उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। 1977 में श्याम चरण शुक्ला भी शहर के तुलसी सरोवर के लोकार्पण कार्यक्रम में पहुंचे जिसके दो साल बाद राष्ट्रपति शासन लगने के बाद उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। 1985 में अर्जुन सिंह, मध्य प्रदेश के सीएम रहते हुए अशोकनगर के दौरे पर आए इसके कुछ दिन बाद ही उन्हें सीएम पद से हटकर पंजाब का गवर्नर बना दिया गया। वहीं, 1988 में मोतीलाल वोरा सीएम थे और वह माधवराव सिंधिया के साथ शहर के रेलवे फुटओवर ब्रिज का लोकार्पण करने पहुंचे। इसके कुछ दिन बाद ही उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा। 1992 में सुंदरलाल पटवा को भी अशोकनगर मुख्यालय दौरे पर आए। अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग जाने की वजह से अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। वहीं, 2001 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रचार के लिए दिग्विजय सिंह यहां आए थे। उसके बाद 2003 में अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी।

सीएम शिवराज कभी नहीं गए अशोकनगर मुख्यालय
शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में करीब 18 साल से ज्यादा का वक्त बीता चुके हैं। वह सीएम रहते हुए कभी भी अशोकनगर मुख्यालय नहीं आए। वह हमेशा अशोकनगर मुख्यालय से दूरी बनाए रहे। 2018 में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ उपचुनाव का प्रचार करने अशोकनगर आए थे। इस दौरान उन्हें मंदिर पर पूजा के लिए आना था लेकिन उनकी पूजा की थाली लगी रह गई थी और वह बिना पूजा किए ही चले गए थे। जिसके बाद राज्य में बीजेपी की सरकार बनी थी।

25 किलोमीटर दूर से किया था लोकार्पण
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को करीब 20 साल पूरे होने वाले हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार अशोकनगर मुख्यालय से दूरी बनाए रहे। शहर के नवीन कलेक्ट्रेट बिल्डिंग लोकार्पण में आना था, लेकिन बाद में किन्ही कारणों से उनका दौरा निरस्त कर दिया गया था। वहीं, शहर की नवीन कृषि उपज मंडी के लोकार्पण में भी शिवराज सिंह शहर नहीं। उन्होंने 25 किलोमीटर दूर राजपुर से नवीन कृषि उपज मंडी का लोकार्पण किया।

2018 की हार के बाद किया था दौरा
2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान अशोकनगर मुख्यालय आए थे। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद सरकार गिर गई। उसके बाद चौथी बार प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी थी। राज्य में एक बार फिर से 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं।