नई दिल्ली। पिछले एक साल में हृदय रोग और हार्ट अटैक (Heart attack) के मामलों ने भारतीयों को खौफ से भर दिया. भारत में 12 साल के बच्चों से लेकर 45 साल तक की उम्र के लोगों ने हार्ट अटैक से अपनी जान गंवाई. भारत ही नहीं कोरोना के बाद एकाएक बढ़ी दिल की बीमारियों ने पूरी दुनिया को चिंताओं से भर दिया. हार्ट डिसीस (heart disease) वैश्विक स्तर पर गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनकर उभरी है. जबकि कुछ दशकों पहले तक हार्ट की बीमारियों को उम्रदराज लोगों की बीमारी के तौर पर जाना जाता था लेकिन हालिया मामलों ने हर किसी को हैरान कर दिया. कम आयु के लोग भी इसका अधिक शिकार बन रहे हैं.

क्यों बढ़ रहे हार्ट अटैक के केस
बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में हार्ट (Heart) की समस्याओं के केस सामने आ रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि कोविड-19 महामारी ने लोगों की जीवनशैली को बुरी तरह प्रभावित किया है. लोगों के बीच फिजिकल एक्टिविटी की कमी, तनाव और अवसाद में बढ़ोत्तरी और खराब खानपान की आदतें भी बढ़ी हैं. साल 2023 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में पिछले कुछ वर्षों में विशेषतौर पर कोरोना महामारी के बाद हार्ट अटैक के मामले अधिक दर्ज किए गए हैं.

डॉक्टरों ने बताई वजह

पिछले तीन वर्षों में दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मौतों में तेज वृद्धि हुई है जो संभवता भारत में कोविड-19 महामारी के स्थायी प्रभावों से जुड़ी है.राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि अकेले 2022 में दिल के दौरे के मामलों में 12.5% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

चौंका देंगे आंकड़े

एनसीआरबी की नवीनतम ‘भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या’ रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि 2022 में दिल के दौरे से 32,457 लोगों की मौत हुई, जो पिछले वर्ष दर्ज की गई 28,413 मौतों से काफी बड़ा आंकड़ा है.

हृदय रोग से बचने के लिए ये तरीके आजमाएं

हृदय को स्वस्थ रखने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कुछ तरीके बताएं हैं जिन्हें आज के समय में हर किसी को फॉलो करना चाहिए.
1.शराब और धूम्रपान के सेवन से बचें.
2. अपनी डाइट में पोषण से भरपूर चीजें शामिल करें.
3.नॉन वेजिटेरियन की जगह प्लांट बेस्ड डाइट का सेवन अधिक करें.
4.सक्रिय रहें और नियमित व्यायाम की आदत डालें
5.वजन को कंट्रोल रखें.
6.कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और ब्लडप्रेशर के मरीज नियमित जांच कराएं.
7.तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं को गंभीरता से लें और डॉक्टर से परामर्श करें.