नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के भिंड जिले में एक 12 वर्षीय के बच्चे की गुरुवार को हार्ट अटैक से मौत हो गई। बच्चे का नाम मनीष था। स्कूल से घर लौटने के लिए वह जैसे ही बस में बैठा, उसे घबराहट होने लगी। ड्राइवर ने इसकी जानकारी प्रिंसिपल को दी, तो उसे बस से उतार लिया गया। स्कूल के शिक्षक उसे अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, जब अचानक लोगों की मौत हो जा रही है। इनमें से ज्यादातर मौतें दिल का दौरा पड़ने से हुईं। कई मामलों में डांस करते हुए, खेलते हुए, सड़क पर चलते हुए या फिर बैठै हुए भी अचानक लोग हार्ट अटैक (heart attack) का शिकार हो जा रहे हैं। जब तक उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है, तब तक उनकी मौत हो चुकी होती है।
ऐसे में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर कोरोनाकाल (Corona period) के बाद इस तरह के मामलों में क्यों तेजी आई है? हर उम्र के लोग क्यों अब हार्ट फ्लोयर का शिकार होने लगे हैं? इन मौतों का कोरोना से क्या संबंध है? इससे कैसे बच सकते हैं और इसके क्या लक्षण (symptoms) हैं? आइए जानते हैं एक्सपर्ट से जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब…
युवाओं में नशे, सप्लीमेंट्स की लत ने बढ़ाया खतरा :
कोरोना के बाद युवाओं में बॉडी बनाने को लेकर ज्यादा ही जोश देखने को मिला है। इसके लिए युवा तमाम तरह के सप्लीमेंट्स का यूज करने लगे हैं। ये बहुत ही खतरनाक होते हैं। इससे शरीर के कई ऑर्गन फेल हो सकते हैं। इसके अलावा शराब, सिगरेट व अन्य नशीले पदार्थ भी लोगों के दिल को कमजोर बनाते हैं। इसके अलावा अधिक एक्सरसाइज भी करना खतरनाक है। इससे दिल की गति तेज हो जाती है तो ब्लॉकेज कर सकती है। इसके अलावा नौकरी व अन्य कारणों से युवा स्ट्रेस भी बहुत ज्यादा लेने लगे हैं। रात-रात तक काम करते हैं। नींद कम लेते हैं। स्ट्रेस का सीधा असर दिल पर पड़ता है। यही कारण है कि युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ गए हैं।
कोरोना ने इम्यून सिस्टम पर प्रहार किया :
कोरोना ने लोगों के इम्यून सिस्टम पर काफी प्रहार किया है। इसके चलते लोग अंदर से कमजोर हो गए हैं। ऊपर से वह फिट दिखते हैं, लेकिन अंदर बीमारियों ने घर कर रखा है। यही बीमारियां जब ज्यादा बढ़ जाती हैं तो अचानक हार्ट फेल्योर का सामना करना पड़ता है।
कोरोना के खौफ ने लोगों की तकलीफें बढ़ाईं :
कोरोना ने हर किसी के मन में एक खौफ पैदा कर दिया है। कोरोना (Corona) से अभी तक लोग पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं। कोरोना के दौरान लोगों को अलग-अलग तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ा। किसी को सैकड़ों मील पैदल चलना पड़ा, किसी के माता-पिता, भाई-बहन या बच्चों की मौत हो गई, किसी के दोस्त ने दम तोड़ दिया, किसी की नौकरी चली गई।
ऐसे ही लोगों ने कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। ये दर्द और डर अब तक लोगों के जेहन में है। इसका असर लोगों की मानसिक स्थिति पर भी पड़ा है। लोग एनजाइटी का शिकार हो रहे हैं। हर बात पर गुस्सा करने लगे हैं। लोगों का ब्लड प्रेशर हाई होने लगा है। लोग ज्यादा तनाव लेने लगे हैं। नींद नहीं आती।
इन बदलावों ने लोगों के शरीर में कई तरह की बीमारियां (diseases) पैदा करनी शुरू कर दी हैं। इसके चलते ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ता है। धीरे-धीरे ये बीमारियां (diseases) दिल को काफी कमजोर कर देती हैं और हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आ जाती है। इसके चलते सडेन डेथ के केस बढ़ गए हैं।
गंभीर कोरोना मरीजों पर बढ़ा ज्यादा खतरा :
कोरोना के समय जिन लोगों ने गंभीर संक्रमण (severe infection) झेला है, उनपर हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा है। कोरोना के चलते लंग्स के अलावा भी शरीर के कई अंग डिस्टर्ब हो जाते हैं। कोरोना के चलते ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है। इसके चलते हार्ट में ब्लॉकेज का खतरा भी ज्यादा होता है।
प्रदूषण और खान-पान ने लोगों को किया कमजोर :
हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों का बड़ा कारण प्रदूषण और खान-पान (pollution and food) भी है। लोग जंक फूड, नॉनवेज, तेल वाले खाद्य पदार्थ ज्यादा खाने लगे हैं। ये शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। शरीर का कोलेस्ट्रॉल इससे बढ़ जाता है। इसी तरह प्रदूषण का असर फेफड़ों पर तो पड़ता ही है, साथ में शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर देता है। दिल्ली एनसीआर व अन्य मेट्रो सिटी में रहने वाले लोगों की उम्र इसके चलते 10 साल कम हो जाती है। प्रदूषण और खान-पान भी हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं।
बच्चों को भी हार्ट अटैक का खतरा है?
आमतौर पर बच्चों को हार्ट अटैक की समस्या तभी आती है, जब उसे पहले से कोई दिक्कत हो। शरीर के अंदर एबनॉर्मलटी सडेन डेथ का बड़ा कारण है। इसमें पैदायशी बच्चों को अंदर कुछ न कुछ बीमारी होती है। ब्रेन में नसों का गुच्छा होता है। ये अचानक से फट जाता है। बच्चों में ये समस्या कॉमन है। ब्रेन ट्यूमर या ब्रेन सिस्ट के चलते भी हार्ट अटैक आ सकता है। ऐसी परिस्थिति में सिरदर्द या बुखार आने के 24 घंटे के अंदर मौत हो सकती है।
क्या कोरोना वैक्सीन का भी कोई असर है?
नहीं, भारत में अब तक वैक्सीन से कोई डेथ रिपोर्टेड नहीं है। ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि वैक्सीन लगवाने वाले लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो रही है। भारत में लोगों को जो वैक्सीन लगाई गई है, वो इम्युनिटी बूस्टर है। अगर इसमें मौत होना होता, तो तुरंत हो सकता था। वैक्सीन लगवाने के कई दिन बाद मौत होने की संभावना बिल्कुल नहीं है।
परिवार में कोई दिल का मरीज तो क्या करें?
हार्टअटैक के कई मामले आनुवांशिक कारणों से भी होते हैं। ऐसे में अगर आपके परिवार के किसी सदस्य को हार्ट की समस्या है तो आपको भी सचेत रहने की जरूरत है। हर साल कम से कम एक बार कार्डियक स्क्रीनिंग से जुड़े टेस्ट करवावएं। इसमें ईसीजी, इकोकार्डियोग्राम, स्ट्रेस टेस्ट, कार्डियक सीटी, ट्राईग्लिसराइड, ब्लड शुगर टेस्ट, होमोसिस्टीन टेस्ट करवाएं।
इन लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें
एक्सपर्ट के अनुसार हार्ट अटैक आने से पहले ही लोगों के अंदर लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। इन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।
ब्लड प्रेशर बढ़ना
बार-बार पेशाब आना
थॉयराड की समस्या आना
सीने में भारीपन महसूस होना
उलझन होना
भूख ज्यादा लगना
धड़कन बढ़ना
सीने में दर्द होना
किसी एक बांह या दोनों में दर्द होना
थोड़ी सी कसरत करने पर सांस फूलना
पैरों में सूजन होना
गले, जबड़े, पेट या कमर के ऊपरी हिस्से में दर्द होना
सीने में खिंचाव या जलन महसूस होना
अगर कुछ देर के लिए आंखों की रोशनी चली गई और फिर वापस आ गई हो
हाथ-पैर में अचानक से कमजोरी महसूस हो
अचानक मुंह डेढ़ा हो गया और फिर कुछ देर में सही हो गया हो
दौरे का झटका पड़ा हो
शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए ये जरूर करें
दिमाग को स्थिर रखें। योग, ध्यान और प्राणायाम करें
किसी भी तरह के स्ट्रेस (तनाव) से दूर रहें
पर्याप्त नींद लें
शुद्ध खाना खाएं। फास्ट फूड और केमिकल वाली चीजों से परहेज करें। नॉन वेज खाने से भी बचें
पानी बार-बार पीजिए
साफ-सफाई का ख्याल रखिए
बासी खाना बिल्कुल न खाएं
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य से पेश की गई है, इन पर हम किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं. इन्हें अपनाने से पहले अपने विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।