नई दिल्ली, अगर आप मोबाइल फोन यूज करते हैं, आए दिन झटपट लोन अप्रूव (Loan) करने के मैसेज और कॉल अक्सर आते होंगे. लेकिन कहते हैं न कर्ज के जंजाल से जितना दूर रहें, उतना अच्छा है. इसके जाल में फंसकर न सिर्फ लोन लेने वाला बल्कि पूरा परिवार ही तबाह हो जाता है. लोन बांटने वाले रेप्युटेड बैंकों को छोड़ दें, तो आजकल कई ऐसे लोन ऐप्स (Digital Loan App) चल रहे हैं, जो ग्राहकों को पहले प्रलोभन देकर फंसाते हैं और फिर ऐसा फंसा देते हैं कि उनके बच निकलने का रास्ता ही नहीं रहता.

इसका ताजा उदाहरण मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में देखने को मिला, जहां ऐप लोन के चक्कर में फंसकर एक पूरे हंसते-खेलते परिवार ने खुदकुशी कर ली. हालांकि, ऐसे ऐप्स पर शिकंजा कसने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने पहले से ही गाइडलाइंस बना रखी हैं, फिर भी ये लोगों को आसानी से फंसाने में कामयाब हो रहे हैं.

कर्ज के जाल में खत्म हो गईं 4 जिंदगी
सबसे पहले बात करते हैं उस दिल दहला देने वाली घटना की, जिसके पीछे ऐप लोन बड़ी वजह है. तो बता दें भोपाल में एक शख्स को लोन रिकवरी के लिए इतना प्रताड़ित किया गया कि उसने दो छोटे-छोटे बच्चों और पत्नी के साथ सामूहिक आत्महत्या कर ली. मृतकों में 8 साल का बेटा, तीन साल की बेटी समेत पति-पत्नी शामिल हैं.

एक छोटी सी गलती इस परिवार पर इतनी भारी पड़ी की बच्चों को जहर देकर सामूहिक खुदकुशी जैसा फैसला लेना पड़ा. घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसे पढ़ने पर साफ होता है कि इस परिवार को मार्केट में फैला ऐप्स लोन का जंजाल निगल गया. इस तरह के एक-दो नहीं बल्कि ढेर सारे ऐप्स चलन में हैं और लोगों को सस्ती दर पर मिनटों में लोन दिलाने का वादा करके अपना शिकार बना रहे हैं.

डिजिटल लोन को लेकर RBI सख्त
देश में डिजिटल लेंडिंग (Digital Lending) से जुड़े फ्रॉड तेजी से बढ़ रहे हैं. इन्हें लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा कदम भी उठाए गए हैं और कड़ी गाइडलाइंस तय की गई हैं. बावजूद इसके इनपर शिकंजा नहीं लग पा रहा है. केंद्रीय बैंक ने एक वर्किंग ग्रुप ऑन ‘डिजिटल लेंडिंग इन्क्लूडिंग लेंडिंग थ्रू ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स एंड मोबाइल ऐप्स’ (WGDL) का गठन किया था, जिसने 13 जनवरी 2021 को अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसे आरबीआई ने वेबसाइट पर अपलोड किया था.

दिशा-निर्देशों के मुताबिक केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल उधारदाताओं को तीन कैटेगरी में बांटा गया है. इनमें आरबीआई द्वारा रेग्युलेटेड संस्थाएं और लेंडिंग कारोबार करने की अनुमति, अन्य वैधानिक और नियामक प्रावधानों के अनुसार लेंडिंग के लिए ऑथराइज्ड संस्थाएं (जो आरबीआई द्वारा विनियमित नहीं हैं) और किसी भी वैधानिक या नियामक प्रावधानों के दायरे से बाहर उधार देने वाली संस्थाएं शामिल हैं.

केंद्रीय बैंक जारी कर चुका है गाइडलाइंस
RBI द्वारा तय की गईं गाइडलाइंस पर गौर करें तो सभी लोन का वितरण और पुर्नभुगतान के बैंक और उधारकर्ता के बीच ही किया जाएगा. इसके अलावा क्रेडिट मध्यस्थता प्रोसेस में लोन सर्विस प्रोवाइडर (LSP) को देय शुल्क का भुगतान कर्ज लेने वालों को नहीं, बल्कि डिजिटल लोन देने वाली संस्थाओं को करना चाहिए. इसके साथ ही लोन देने का बिजनेस सिर्फ उन संस्थाओं द्वारा किया जा सकता है, जो या तो RBI द्वारा विनियमित (RE) हैं या ऐसी संस्थाएं जिन्हें किसी अन्य कानून के तहत ऐसा करने की अनुमति दी गई है.

केंद्रीय बैंक के मुताबिक, इसमें किसी भी थर्ड पार्टी जैसे आरई और एलपीएस की कोई भी भूमिका नहीं होगी. डिजिटल लोन (Digital Loan) सीधे लोन लेने वालों के बैंक अकाउंट में जमा किया जाना चाहिए, न कि किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से भेजना चाहिए. इसके साथ ही ग्राहकों की मंजूरी के बगैर क्रेडिट लिमिट (Credit Limit) को अपने आप बढ़ाने पर भी रोक लगाई गई थी.

अन्य नियमों की बात करें तो आरबीआई ने अपने दिशा-निर्देशों में बताया था कि कोई फीस, चार्ज अगर LPS को दिया जाता है, तो वह RE द्वारा वहन किया जाएगा, न कि लोन लेने वाले पर बोझ बढ़ाया जाएगा. कुल मिलाकर रिजर्व बैंक ने डिजिटल लेंडिंग पर ये गाइडलाइंस विशेष तौर पर थर्ड पार्टी के अनियंत्रित जुड़ाव, गलत बिक्री, डेटा गोपनीयता के उल्लंघन, अनुचित व्यावसायिक आचरण, ब्याज दरों पर शुल्क लगाने और अनैतिक वसूली जैसी संबंधित चिंताओं के बाद जारी किए थे.

ऐप लोन लेते समय ये बातें ध्यान में रखना जरूरी
रिजर्व बैंक की सख्त गाइडलाइंस के बाद भी लगातार देखने को मिल रहा है कि कई तरह के फर्जी लोन ऐप लोगों को ठगकर मोटी कमाई करने में लगे हुए हैं. लोग इन डिजिटल लोन ऐप से लोन लेने के बाद रिकवरी के उत्पीड़न का इस कदर शिकार होते हैं, कि आत्महत्या का रास्ता अपनाने से भी परहेज नहीं करते. आप किसी इमरजेंसी की स्थिति में Digital Loan App की मदद से लोन (Loan) लेने की सोच रहे हैं, तो बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है. RBI इस तरह के लोन लेने वाले ग्राहक को कुछ अधिकार देती है, जिसकी जानकारी होना आपके लिए बेहद जरूरी है.

1- डिजिटल तरीके से लोन लेने से पहले ऋणदाता की ओर से लगाए जाने वाले शुल्क का पता कर लें. लोन लेने वाले ग्राहक लेंडर को लोन अप्रूवल से पहले ग्राहक को Key Fact Statement देना होता है, जिसे ग्राहक द्वारा अच्छी तरह से पढ़ा जाना चाहिए. ग्राहक को लोन पर लगने वाले सालाना ब्याज, एप्लीकेशन फीस, प्रोसेसिंग फीस, लेट पेमेंट फीस, उधार लेते की लागत का पता होना चाहिए.

2- बैंक या डिजिटल लोन प्रोवाइडर की ओर से जितना भी लोन अप्रूव किया गया है, वो डायरेक्ट आपके खाते में आना चाहिए. आपके लोन को बैंक से एक बार स्वीकृति मिलने के बाद लोन की रकम किसी थर्ड पार्टी के पास या किसी पूल खाते पर नहीं जानी चाहिए. कर्ज लेने वाले ग्राहक को लोन स्वीकृति से लेकर अन्य सभी टर्म एंड कंडीशंस के बारे में जानकारी मेल पर भेजनी चाहिए.

3- लेंडर द्वारा भेजे गए मेल में भुगतान और जुर्माने से संबंधित जानकारी लिखी होनी चाहिए. जिसमें दंडात्मक प्रभार और पेमेंट से पहले लिए जाने वाले प्रभार की दर अगर है तो स्पष्ट रूप से जिक्र होना चाहिए. डिजिटल लोन ऐप की मदद से लोन देते समय ऐप को उधार लेने वाले व्यक्ति की डेटा की जानकारी लेने की सहमति लेना जरूरी है. लोन लेने वाले के पास यह पूरी छूट है कि वह अपना डेटा किसी थर्ड पार्टी के साथ शेयर करना चाहता है या फिर नहीं.

4- डिजिटल लोन ऐप के मदद से लोन लेने पर किसी तरीके की समस्या का सामना होने पर लोन लेने वाला अपनी समस्या की शिकायत नोडल शिकायत निवारण अधिकारी के पास कर सकता है. नोडल शिकायत निवारण अधिकारी से संपर्क करने का विवरण आपको मुख्य तथ्य विवरण पर मिल जाएगा. शिकायत दर्ज होने के 30 दिनों के अंदर किसी तरह का समाधान न होने पर आप अपनी शिकायत आरबीआई के एकीकृत लोकपाल योजना के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं.