जेनेवा। भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से पुरी दुनिया परेशान है। भारत में कोविड़-19 की दुसरी लहर को ले कर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इसमें राजनीतिक और धार्मिक कार्यक्रम भी प्रमुख कारण बतौर शामिल हैं। संस्था ने बताया है कि भारत की कोविड स्थिति को देखते हुए पड़ोसी देशों में भी चिंता की लकीरें बढ़ती जा रही हैं। इस दौरान कोरोना वायरस के वैरिएंट बी.1.617 की भूमिका को लेकर भी चर्चा की गई है। वैरिएंट ऑफ कंसर्न करार दिए गए इस वायरस को 44 देशों में पाया गया है। इससे उन देशों समेत अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की भी चिंता बढ़ गई है।
डब्ल्युएचओ के अनुसार, देश में वायरस के फैलने के कई कारण हैं, जिनमें कई धार्मिक और राजनीतिक समारोह शामिल हैं, जिनकी वजह से सामाजिक स्तर पर भारी भीड़ का इजाफा हुआ है। बुधवार को प्रकाशित हुआ डब्ल्युएचो की वीकली एपिडेमियोलॉजिकल अपडेट में बताया गया ‘हाल ही में भारत में संस्था की तरफ से किए गए जोखिम आकलन में पाया गया है कि भारत में कोविड-19 के प्रसार के बढ़ने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें संभावित रूप से बढ़ती संक्रामकता के साथ सार्स-कोव-2 वैरिएंट के मामलों के अनुपात में वृद्धि शामिल है, कई धार्मिक और राजनीतिक समारोह हुए, जिनसे सोशल मिक्सिंग बढ़ी है।
साथ ही डब्ल्युएचओ ने पब्लिक हेल्थ एंड सोशल मेजर्स का ठीक तरह से पालन नहीं किए जाने पर भी सवाल उठाए हैं। अपडेट में कहा गया है कि भारत में बी।1।617 लाइनेज पहली बार अक्टूबर 2020 में पाया गया था। अपडेट में बताया है ‘भारत ने मामलों और मौतों में दोबारा बढ़त ने बी.1.617 और अन्य वैरिएंट्स (बी.1.1.7) की भूमिका पर सवाल उठा दिए हैं।’
अपडेट में बताया गया है कि भारत के बाद ब्रिटेन में ऐसे सबसे ज्यादा मामले आए हैं, जिनके तार बी.1.617 से जुड़े हुए हैं। यूके ने हाल ही में इसे ‘नेशनल वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ की कैटेगरी में डाल दिया है। विश्व की कोविड स्थिति पर बताते हुए अपडेट में कहा गया है कि 55 लाख केस और 90 हजार से ज्यादा मौतों के साथ इस हफ्ते कोविड-19 के नए मामलों में थोड़ी कमी देखी गई है। अपडेट के अनुसार, दक्षिण एशिया क्षेत्र में संक्रमितों का 95 और मौतों का 93 प्रतिशत भारत में बरकरार है। साथ ही दुनिया में भारत 50 फीसदी मामलों और 30 प्रतिशत मौतों का जिम्मेदार है। डब्ल्यूएचओ ने अपडेट में कहा है कि पड़ोसी देशों में चिंता बढ़ाने वाले आंकड़े देखे गए हैं। इस हफ्ते भारत में पहली बार मिले बी.1.617 को डब्ल्युएचओ ने ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ बताया है।