नई दिल्ली। देश में जहां कोरोना की दूसरी लहर का कहर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है तो वहीं तीसरी लहर की भी आशंका जताई जा रही है। कोरोना काल में पिछले डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं, लेकिन एक बार फिर कई राज्यों ने स्कूलों को खोलने का निर्णय किया है। दिल्ली में स्कूल खोल जाएं या नहीं, इसका आकलन विशेषज्ञों की एक कमेटी करेगी। DDMA की शुक्रवार को हुई बैठक में कमेटी गठित करने का फैसला लिया गया है। कमेटी में शिक्षा और स्वास्थ्य विभागों के अधिकारियों के साथ विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।

  कमेटी की ओर से दी गई सलाह के अनुसार स्कूलों के लिए SOP बनाना, SOP का पालन करना और लागू करने के लिए स्कूलों की तैयारी पर सुझाव देना शामिल है। कमेटी की ओर से योजना का मूल्यांकन और अंतिम रूप देने की रूपरेखा भी तैयार की जाएगी। इसके साथ ही कमेटी के मकसद स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों का टीकाकरण, छात्रों के माता-पिता की चिंताओं को दूर करना और सभी की भागीदारी होना सुनिश्चित करना होगा। इसके बाद ही स्कूल खोलने के सम्बंध में निर्णय लिया जाएगा। राजधानी दिल्ली में कोरोना के मद्देनजर पिछले साल मार्च से ही स्कूल बंद है। कोरोना संक्रमण कम होते ही दिल्ली सरकार ने अब स्कूल ऑडिटोरियम को फिर से खोलने और ट्रेनिंग की इजाजत दे दी है, लेकिन पढ़ाई के लिए स्कूल कब खुलेंगे? यह सवाल अब भी यक्ष प्रश्न है। इसे लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के रुझान बता रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर आना लगभग तय है, इसलिए हम टीकाकरण प्रक्रिया पूरी होने तक कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। उनसे पूछा गया था कि जिस तरह पड़ोसी राज्य में स्कूलों को खोलने का फैसला लिया है क्या आप लोग भी स्कूल को खोलने के बारे में सोच रहे हैं? मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इसके जवाब में कहा था कि नहीं-नहीं, अभी नहीं, जो अंतरराष्ट्रीय ट्रेंड देख रहे हैं कि थर्ड वेव आएगी, तो जब तक वैक्सीनेशन पूरा नहीं हो जाता, हम बच्चों के साथ रिस्क नहीं लेंगे।

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