नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने शादी की न्यूनतम उम्र एक किए जाने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है। उसने दिल्ली हाईकोर्ट में पेंडिंग केस सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने को कहा है। वहीं, सुनवाई के दौरान बताया गया कि राजस्थान हाईकोर्ट में पेंडिंग केस खारिज किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी दाखिल कर विवाह की न्यूनतम उम्र 21 साल किए जाने से संबंधित उन तमाम केसों को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की गुहार लगाई है जो अलग-अलग हाईकोर्ट में पेंडिंग हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था।
लड़का हो या लड़की सभी की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल किए जाने की गुहार लगाई गई है। इसमें शादी की न्यूनतम उम्र एकसमान और जेंडर न्यूट्रल की बात कही गई है। यानी देश के सभी नागरिकों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ट्रांसफर पिटिशन में अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि लड़का और लड़की की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया था कि राजस्थान हाईकोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में इसको लेकर मामला पेडिंग है। अलग-अलग कोर्ट में मामला होने और उनका अलग-अलग मत होने की स्थिति में बेहतर होगा कि मामले को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किया जाए।
कई कोर्टों में मामला है लंबित
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याची उपाध्याय की वकील गीता लूथरा ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट के साथ-साथ राजस्थान हाईकोर्ट में इससे संबंधित केस पेंडिंग है। बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर शादी की उम्र एक समान किए जाने की गुहार लगाई थी। हाईकोर्ट ने उपाध्याय की अर्जी पर केंद्र और लॉ कमिशन को नोटिस जारी किया था। हाईकोर्ट ने बीजेपी नेता अश्निनी उपाध्याय की अर्जी पर 19 अगस्त 2019 को नोटिस जारी किया था। इसी बीच 5 फरवरी 2020 को राजस्थान हाईकोर्ट में एक अन्य अर्जी दाखिल की गई थी।
इस मामले में दाखिल अर्जी पर राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। इसके बाद अब अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रासंफर पिटिशन दाखिल कर कहा है कि अलग-अलग हाई कोर्ट में मामला होने से अलग-अलग मत आ सकते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में केस ट्रांसफर किया जाना चाहिए। तब राजस्थान सरकार के वकील मनीष सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट में पेंडिंग केस का निपटारा हो चुका है और केस खारिज किया जा चुका है। तब चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हम दिल्ली हाई कोर्ट में पेडिंग केस को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने का आदेश देते हैं।
क्या है अभी शादी की उम्र?
मौजूदा समय में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल और लड़के की न्यूनतम उम्र 21 साल तय की गई है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि लॉ कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि लड़की और लड़के की उम्र में अंतर का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। शादी की न्यूनतम उम्र में अंतर होने से मौलिक अधिकार का हनन होता है। संविधान के समानता के अधिकार और स्वच्छंदता के साथ जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। जहां तक विश्व में ट्रेंड का सवाल है तो 125 देशों में लड़का और लड़की की शादी की उम्र एक समान है।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल रखा गया है और लड़कियां जब स्कूल की पढ़ाई पूरी करती हैं तो इसी दौरान वह 18 साल के करीब पहुंच जाती हैं और फिर उन्हें शादी कराई जाती है। उम्मीद की जाती है कि बच्चे भी हों और इस तरह की परंपरा के कारण उनकी पढ़ाई लिखाई पर विपरीत असर हो रहा है।
इस तरह शादी और बच्चे के सामाजिक दबाव के कारण महिलाएं अपने अधिकार से वंचित हो रही हैं। अगर महिलाओं के शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाई जाएगी तो इससे उन्हें स्वायत्तता मिलेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 20 साल से कम उम्र की महिलाओ के मां बनने के कारण उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर हो रहा है। पुरुषों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल रखी गई है ताकि वे उच्च शिक्षा ग्रहण करें और ऐसे में महिलाओं को भी ये अधिकार होना चाहिए और उन पर शादी की तलवार नहीं लटकनी चाहिए।