ग्वालियर । चुनावी माहौल हो, ग्वालियर-चंबल का इलाका हो, बड़े नेताओं क दौरे हो रहे हों तो रानी लक्ष्मीबाई की चर्चा जरूर होती है। और ये चर्चा होते ही ग्वालियर का राजसी परिवार तनाव में आ जाता है। इतिहास के पन्नों में रानी लक्ष्मीबाई और सिंधिया परिवार के बीच ऐसा जुड़ाव दर्ज है जो हमेशा सियासी मुद्दा बनता है। 21 जुलाई को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के ग्वालियर दौरे से पहले रानी लक्ष्मीबाई फिर से चर्चा में हैं और ग्वालियर का शाही परिवार इससे असहज है।

1857 की क्रांति से जुड़ा है मामला
1857 की क्रांति झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रजों से लोहा लिया था। 18 जून 1958 को मात्र 29 साल की उम्र में अंग्रेजों के साथ लड़ते हुए वो शहीद हो गई थीं। कहा जाता है कि अगर 1857 की लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई का ग्वालियर के सिंधिया ने साथ दिया होता और रानी के साथ ग़द्दारी न की होती, तो शायद अंग्रेजों की जीत नहीं होती। सिंधियाओं की इस कथित गद्दारी को मशहूर कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की एक कविता ने अमर कर दिया। चौहान ने लिखा, ‘अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।

166 साल पहले लगा दाग
166 साल पहले की यह घटना सिंधिया परिवार का अब तक पीछा नहीं छोड़ रही। ग्वालियर के मौजूदा महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कांग्रेस में थे, तब बीजेपी के लोग उन पर गद्दारी का तंज कसते थे। ज्योतिरादित्य अब बीजेपी में हैं तो यही काम कांग्रेस के लोग कर रहे हैं। कांग्रेस में रहते हुए ज्योतिरादित्य, गांधी परिवार के करीबी थे। इसलिए, गांधी परिवार का कोई सदस्य आज तक ग्वालियर में रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर नहीं गया। शुक्रवार को प्रियंका गांधी अपने दौरे की शुरुआत इसी समाधि स्थल से कर रही हैं। जाहिर है, इसकी पूरी संभावना है कि उनके भाषण में गद्दार शब्द की चर्चा होगी।

अब तक नाकाम रही हैं कोशिशें
ऐसा नहीं है कि सिंधिया पिवार ने अपने ऊपर लगे इस दाग को धोने की कोशिश नहीं की। ज्योतिरादित्य के बीजेपी में आने के बाद इन कोशिशों में और तेजी आई। जनवरी 2022 में ज्योतिरादित्य, रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर गए थे। उन्होंने रानी को श्रद्धांजलि दी थी। यह पहला मौका था जब सिंधिया परिवार का कोई सदस्य उनकी समाधि पर पहुंचा था। 16 अक्टूबर, 2022 को सिंधिया के महल जय विलास पैलेस में भी रानी लक्ष्मीबाई की एंट्री हुई। महल में स्थापित मराठा गैलरी में लक्ष्मीबाई की शौर्य गाथा को उनके चित्रों के साथ शामिल किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसका अनावरण किया था, लेकिन ये दाग ऐसे हैं जो अब सियासत के रंग में रंग गए हैं। इसलिए सिंधिया की सारी कोशिशें अब तक नाकाम साबित हो रही हैं।