नई दिल्ली । मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच में कोई गठबंधन नहीं हो पाया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने दावा जरूर किया कि कांग्रेस द्वारा लगातार उनके नेताओं को बैठक में बुलाया गया, कई सीटों पर सहमित की बात भी बनी, लेकिन जब सीटों का ऐलान हुआ, सपा को एक भी टिकट नहीं दिया गया। अब कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस पूरी घटना की इनसाइड स्टोरी बता दी है।
दिग्विजय सिंह ने क्या बताया?
दिग्विजय सिंह ने बताया है कि एमपी में कांग्रेस, सपा को चार सीटें देने को तैयार थी, लेकिन समाजवादी पार्टी 6 सीटें मांग रही थी। इसी वजह से दोनों ही पार्टियों के बीच कोई समझौता नहीं हो पाया। वैसे ये दिग्विजय सिंह का दावा है, इस पर अखिलेश यादव की तरफ से कोई सफाई पेश नहीं की गई है। सपा के किसी नेता ने भी इन दावों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
अखिलेश ने क्या कहा था?
वैसे अभी के लिए एमपी में क्योंकि कांग्रेस ने अपनी तरफ से सपा को कोई टिकट नहीं दी है, इस पर अखिलेश खासा नाराज हैं। उनकी तरफ से मीडिया से बात करते हुए कहा गया था कि अगर ये मुझे पहले दिन पता होता कि विधानसभा स्तर पर कोई गठबंधन नहीं है INDIA का तो कभी मिलने नहीं जाते। हमारी पार्टी के लोग और न ही हम कभी सूची देते कांग्रेस के लोगों को। गठबंधन केवल उत्तर प्रदेश में केंद्र के लिए होगा तो उसपर विचार किया जाएगा। सपा प्रमुख अखिलेश ने इस बात पर भी जोर दिया कि उनके कार्यकर्ता देर रात तक कांग्रेस के साथ मीटिंग कर रहे थे। देर रात एक बजे तक बैठकें की गईं, लेकिन उसके बाद भी सपा को एक टिकट नहीं मिली।
कांग्रेस को क्या नुकसान हो सकता है?
अब अखिलेश यादव की ये नाराजगी मायने रखती है। अभी इस समय कांग्रेस को भी यूपी में लोकसभा चुनाव के दौरान सीटें चाहिए होंगी, अगर सपा ने तब कड़ा रुख दिखा दिया तो पूरे इंडिया गठबंधन के लिए ये चिंता का सबब बन जाएगा। दूसरी तरफ अगर कांग्रेस के रवैये से नाराज होकर अखिलेश यादव ने अलग होने का फैसला कर लिया, उस स्थिति में तो सीधे-सीधे 80 सीटों पर विपक्ष को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।