नई दिल्ली । भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार के बीच संबंधों में खटास की चर्चा के बीच पार्टी ने सोमवार को विधानसभा चुनावों के लिए 57 उम्मीदवारों जिसमें सभी विधायकों हैं, की चौथी सूची जारी कर दी। इस सूची में चौहान और उनके 24 मंत्री शामिल हैं, जिनमें से सात को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का खास माना जाता है। कुल मिलाकर सूची में सिंधिया के आठ वफादारों को शामिल किया गया है। पिछले कुछ महीनों में उनके खेमे के कई नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने के बावजूद यह इस बात का मजबूत संकेत है कि केंद्रीय नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्री पर अपना भरोसा बनाए रखा है।
मुख्यमंत्री और गृहमंत्री अपनी-अपनी पुरानी सीट से ही लड़ेंगे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने गृह क्षेत्र बुधनी से चुनाव लड़ेंगे। यह सीहोर जिले की एक सीट है, जिसका उन्होंने पांच बार प्रतिनिधित्व किया है। राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा दतिया से चुनाव लड़ेंगे। यह उत्तर-मध्य मध्य प्रदेश की सीट है, जिसे उन्होंने तीन बार जीता है। लोक निर्माण तथा कुटीर और ग्रामीण उद्योग विभाग मंत्री गोपाल भार्गव सागर जिले के रहली से चुनाव लड़ेंगे। वह 1985 से इस सीट से जीत रहे हैं और 2003 से राज्य मंत्री हैं। शहरी विकास और आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह सागर जिले के खुरई से चुनाव लड़ेंगे। उन पर कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
जिन अन्य मंत्रियों को मैदान में उतारा गया है वे हैं चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (नरेला, भोपाल जिला); सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदोरिया (अटेर, जिला भिंड); बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री भरत सिंह कुशवाह (ग्वालियर ग्रामीण), खनिज संसाधन मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह (पन्ना) और कृषि मंत्री कमल पटेल हरदा से चुनाव लड़ेंगे।
सूची में सिंधिया के इन समर्थकों को टिकट मिला है
सिंधिया के वफादार सात मंत्रियों को टिकट मिला है, जिनमें ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (ग्वालियर), जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट (सांवेर, इंदौर जिला); औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव (बदनावर, धार जिला); लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री प्रभुराम चौधरी (सांची, रायसेन जिला), राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (सुरखी, सागर जिला), खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह (अनूपपुर, इसी नाम का जिला), और पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा, मंसूर) ज़िला)।
बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि मंत्रियों को एक बार और अवसर दिया गया है, क्योंकि पार्टी के पास “कोई और विकल्प नहीं” है। भाजपा के राज्य सचिव रजनीश अग्रवाल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हमारे मंत्रियों पर उनके जीतने की क्षमता के बाद फैसला लिया गया है।” ये सबसे अच्छे उम्मीदवार हैं। वे अपनी पड़ोसी सीट को भी जिताने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
सूची में एक और साफ मानक बनाया गया है, वह जीतने वाले विधायकों को दोहराने का है। 2018 में बीजेपी जिन छह सीटों पर हारी थी, वहां पार्टी ने उन नेताओं को मैदान में उतारा है जो हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए थे। 25 सितंबर को 39 उम्मीदवारों की दूसरी सूची घोषित होने के बाद, जिसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों, चार सांसदों और एक महासचिव को मैदान में उतारा गया है, चौहान को इस सवाल से जूझना पड़ा कि क्या भाजपा के जीतने पर उन्हें फिर से सीएम की सीट मिलेगी।
चौहान लगभग दो दशकों से मुख्यमंत्री हैं और केंद्रीय नेतृत्व ने सरकार के खिलाफ बने माहौल को कम करने के लिए हर संभव कोशिश की है, लेकिन वह महिलाओं के लिए अपनी योजनाओं पर भरोसा कर रहे हैं ताकि उन्हें सत्ता में वापस लाया जा सके। सूची के ऐलान के बाद चौहान ने मीडिया को बताया कि जिन नामों को राज्य नेतृत्व ने सिफारिश की थी, वही नाम सूची में हैं।
उन्होंने कहा, “भाजपा ने एक और सूची जारी की है। मैं केंद्रीय नेतृत्व का आभारी हूं। सूची में राज्य द्वारा भेजी गई सिफारिशों के अनुसार नाम हैं। हमने अब तक कुल 230 उम्मीदवारों में से 136 के नामों की घोषणा कर दी है। बाकी सूचियां भी जल्द आ जाएंगी। लेकिन कांग्रेस की सूची कहां है? अब चुनाव की तारीखों का भी ऐलान हो चुका है। लेकिन उनकी सूची कहीं दिखाई नहीं दे रही है…कांग्रेस के भीतर अंदरूनी कलह है…हम निश्चित रूप से एक बार फिर सरकार बनाएंगे।” मुख्यमंत्री ने मतदाताओं के दिल की धड़कनों को यह कहकर छू लिया कि जब “मैं नहीं रहूंगा तो वे उन्हें याद करेंगे।” चौहान ने कहा कि वह कहीं भी जाने की योजना नहीं बना रहे हैं।