भोपाल। मध्य प्रदेश में विश्वविद्यालयों के कुलपति अब कुलगुरु के नाम से जाने जाएंगे। उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने प्रस्ताव दिया है कि यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर को प्राचीन भारतीय परंपरा के मुताबिक कुलगुरु नाम दिया जाए। मंत्री के मुताबिक कुलपति शब्द उस स्थिति में भी खराब लगता है, जब किसी विश्वविद्यालय में कोई महिला इस पद पर बैठती है। हाल ही में एमपी के चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने एमबीबीएस के फाउंडेशन कोर्स में आरएसएस के डॉक्टर हेडगेवार और पंडित दीन दयाल उपाध्याय के बारे में पढ़ाने का फैसला किया है।

  मंत्री मोहन यादव ने कहा कि “हमारे यहां विश्वविद्यालयों में जो कुलपति शब्द इस्तेमाल होता है तो कई कई कुलपतियों के सुझाव आए कि नाम बदलना चाहिये। सुझाव आया कि कुलगुरु नाम होना चाहिए। हमारे यहां गुरु-शिष्य की प्राचीन परंपरा है तो कुलगुरु से अगर संबोधित होंगे तो ज्यादा अच्छा होगा। हमने सबंधित एक्ट को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।  

मोहन यादव ने कहा कि नाम बदलने के लिए विश्वविद्यालय एक्ट में राज्य सरकार नाम बदलने का फैसला ले सकती है। हालांकि इस मामले में कांग्रेस भगवाकरण का आरोप लगा रही है। क्योंकि वो इस देश की संस्कृति के आधार पर चलना नहीं चाहती है। बापू ने रामराज्य की परिकल्पना की थी, लेकिन कांग्रेस ने गंभीरता नहीं दिखाई। आज जब हम कुलगुरु की बात कर रहे हैं तो किस बात का विरोध। डॉक्टर हेडगेवार और पंडित दीन दयाल उपाध्याय को अगर एमबीबीएस में पढ़ाया जाये तो किस बात का विरोध। महापुरुषों को फाउंडेशन कोर्स में डालते हैं तो उसमें क्या गलत है। कांग्रेस अगर सिर्फ नेहरू गांधी परिवार के चक्कर में पड़ेगी तो उसका नुकसान होगा। हमारी कई महिलायें कुलपति बनती हैं तो थोड़ी असुविधा तो होती है। कुलपति शब्द से सत्ताधीश प्रतिध्वनित होता है। ये बात सही है कि कुलगुरु में महिलाओं को भी कोई परेशानी नहीं होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *