नई दिल्‍ली । ये ज़ुल्म तू ऐ जल्लाद न कर, ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर..कायदे से मुहब्बत वो एहसास है जो हर दिल में रहता है. वो जज्बा है जो कायनात के जर्रे-जर्रे में बिखरा है और बस मुहब्बत की इसी एक फितरत पर नफरत को भी मुहब्बत से नफरत है. वो दौर अलग था, जब मुहब्बत में जान देने की बातें हुआ करती थीं. ये दौर अलग है यहां मुहब्बत खुद दिलों में खंजर उतार कर अपनी ही मुहब्बत की जान ले रही है.

इस वक्त लगभग 140 करोड़ हैं हम. इस 140 करोड़ की आबादी के बीच हर दिन हर महीने हर साल न जाने कितने ही जुर्म होते हैं. हमारे देश में होने वाले जुर्म का बही खाता रखनेवाली एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के सबसे ताजा 2021 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इश्क में लोग अब जान नहीं देते, जान लेते हैं. जी हां, एनसीआरबी के सबसे ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में जिन वजहों से सबसे ज्यादा कत्ल होते हैं, उनमें लव अफेयर यानी इश्क में होने वाला कत्ल तीसरे नंबर पर आता है. देश में होने वाले हर दस कत्ल में एक कत्ल किसी ना किसी आशिक या माशूक के हाथ से ही होता है.

2021 के आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में कुल 29 हजार 272 कत्ल के मामले सामने आए. ये तमाम कत्ल 19 अलग-अलग वजहों से हुए. मसलन, निजी दुश्मनी, सांप्रदायिक और धार्मिक वजहें, राजनीतिक वजह, डायन प्रथा, जातिवाद, विवाद, लूट-डकैती. लेकिन परेशान करनेवाली बात ये है कि इन 19 वजहों में से तीसरे नंबर पर कत्ल की जो वजह बनी, वो प्यार मुहब्बत और धोखा है. 29 हजार 272 कत्ल के कुल मामलों में से 3125 मामले लव अफेयर से जुड़े हैं. अगर कुल मिलाकर कत्ल की वजह की बात करें, तो लव अफेयर से ऊपर पहले और दूसरे नंबर पर जो वजहें हैं वो हैं निजी दुश्मनी और सांप्रदायिक और धार्मिक कारणों से हत्या.

लव अफेयर के साथ-साथ देश में अवैध संबंधों की वजहों से होनेवाले कत्ल की गिनती भी बढ़ी है. एनसीआरबी के सबसे ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2021 में इश्क और अवैध संबंधों की वजह से जिन राज्यों में सबसे ज्यादा कत्ल हुए, उनमें यूपी पहले नंबर पर है. जबकि केरल, पश्चिम बंगाल और नॉर्थ ईस्ट के तमाम राज्य सबसे निचले पायदान पर.

इश्क और अवैध संबंध की वजह से होने वाली हत्याओं के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो ये हैं टॉप 10 राज्य-

01. उत्तर प्रदेश 406
02. महाराष्ट्र 351
03. मध्य प्रदेश 323
04. बिहार 280
05. तामिलनाडु 244
06. कर्नाटक 203
07. राजस्थान 125
08. झारखंड 099
09. पंजाब 085
10. हरियाणा 060

ऐसा नहीं है कि इश्क में पहले कत्ल नहीं हुआ करते थे, पहले भी आशिकों ने हाथों में खंजर या तमंचे उठाए हैं, लेकिन 2010 के बाद से इश्क, बेवफाई और अवैध संबंध की वजह से होनेवाले कत्ल की तादाद तेजी से बढ़ी है. आंकड़े और आईपीसी की नजर से देखें तो भारत में कुल 19 वजहें ऐसी उभर कर सामने आई हैं, जिनकी वजह से कत्ल होते हैं. लेकिन इश्क, कत्ल की एक वजह होगी और वो भी टॉप थ्री में अपनी जगह बनाएगी, ऐसा कुछ साल पहले तक किसी ने नहीं सोचा था. सोचता भी क्यों कर? इश्क में आशिक जान देते हैं, ना कि जान लेते हैं. इश्क की वजह से होनेवाले कत्ल के पिछले 10 सालों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साफ पता चलता है कि जैसे-जैसे सोशल मीडिया का चलन बढ़ा, इश्क खूनी होता चला गया.

खूनी इश्क के पिछले 10 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में होनेवाले कुल कत्ल में इश्क की हिस्सेदारी साल दर साल कुछ इस तरह से दिखाई देती है-

2011 – 7.9 फीसदी
2012 – 7.4 फीसदी
2013 – 7.2 फीसदी
2014 – 7.2 फीसदी
2015 – 9.2 फीसदी
2016 – 10.4 फीसदी
2017 – 10.9 फीसदी
2018 – 11.2 फीसदी
2019 – 11.00 फीसदी
2020 – 10.4 फीसदी
2021 – 10.7 फीसदी

इन आंकड़ों के हिसाब से 2010 से 2014 के दरम्यान लव अफेयर की वजह से होने वाले कत्ल का परसेंटेज 7-8 फीसदी के बीच में था. लेकिन 2015 से 21 के दरम्यान अचानक लव अफेयर की वजह से होनेवाले कत्ल का परसेंटेज बढ़ कर 10 से 11 फीसदी हो जाता है. और ये गिनती लगातार बढ़ रही है. एनसीआरबी के ही एक और डाटा के मुताबिक 2021 में देश भर में होनेवाले कुल 29 हजार 272 कत्ल में से 95 फीसदी कत्ल बालिग के हुए जबकि 5 फीसदी बच्चों के. जिन लोगों की हत्या हुई, उनमें से 73 फीसदी पुरुष थे, जबकि 26 फीसदी महिला. इसके अलावा 2021 में ही 10 ट्रांसजेडर का भी कत्ल हुआ. कत्ल होनेवालों में 5 साल के बच्चे से लेकर 74 साल के बुजुर्ग तक शामिल रहे.

इश्क में होनेवाले कत्ल के अलावा पति-पत्नी के बीच होने वाले झगड़े के दौरान कई कत्ल हुए. इनमें से ज्यादातर कत्ल की वजह एक्सट्रा मैरिटल अफेयर रही. एक आंकड़े के मुताबिक 2022 में देश भर में पति के कत्ल के करीब 270 मामले सामने आए. इसी दौरान पति द्वारा पत्नी के कत्ल के भी लगभग ढाई सौ मामले सामने आए.

जाहिर है आंकड़े डरावने हैं और इन्हीं आंकड़ों को सच करती जब साहिल, आफताब, ग्रीष्मा, डॉ राजेश, मारिया सुसाइराज, निक्की, अंकिता, अमिता, न जाने ऐसे कितने ही नाम और ऐसी कितनी ही तस्वीरें सामने आती हैं, तो अहसास करा जाती है कि अब मुहब्बत उस अहसास का नाम नहीं रहा, जो कभी हर दिल में रहा करता था. वो दौर अलग था, जब नाकाम मुहब्बत में एक दिल के टुकड़े हजार हुआ करते थे. कोई यहां गिरता था, कोई वहां गिरता था. अब दौर बदल चुका है, आज आशिक दिल के टुकड़े पर नहीं रुकते बल्कि जिस मुहब्बत का दम भरते हैं, जिस मुहब्बत में जीने मरने की कसमें खाते हैं, उसी मुहब्बत के सीधे टुकड़े कर डालते हैं.

मुझको मालूम है अंजाम-ए-मुहब्बत क्या है,
एक दिन मौत की उम्मीद में जीना होगा..