जबलपुर। उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन बनाने की राह पर चलते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले महीने एक निर्णय लेकर पूरे देश की राजनीति सहित प्रशासनिक हलकों हलचल मचा दी थी। अब उसी राह पर मप्र के एक आईएएस ने भी चलने की ठान ली है। जिस पर अमल भी शुरू कर दिया है। पहले चरण में इस आईएएस ने करीब आधा दर्जन से अधिक राजस्व अधिकारी कर्मचारी को चलता कर दिया है। बाकियों के रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं। आईएएस की इस कार्यवाही से राजस्व विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
यह है मामला-
जबलपुर कलेक्टर महेशचंद्र चौधरी ने सीएम योगी राह अपना ली है। योगी ने ५० सालों से कार्यरत कामचोर व भ्रष्टाचार में लिप्त शासकीय कर्मचारियों व अधिकारियों को निकालने का जो निर्णय लिया था, ठीक उसी तरह चौधरी ने भ्रष्टाचार में लिप्त ५ लोगों को दो दिन में सेवा से बर्खास्त कर दिया है। सूत्रों के अनुसार भ्रष्टाचार और रिश्वत मे फंसेअधिकारी-कर्मचारीयों के खिलाफ जबलपुर जिला प्रशासन ने कार्रवाही करना शुरु कर दिया है। कलेक्टर महेशचंद्र चौधरी ने रिश्वत में फंसे तीन पटवारी सहित एक सहायक यंत्री और एक सैल्समैन को सहित कुल पांच लोगों को उनकी सेवा से बर्खास्त कर दिया है। कलेक्टर महेशचंद्र चौधरी का कहना है कि स्वच्छ प्रशासन को रखने के लिए इस तरह की कार्रवाही जरुरी है।
कलेक्टर की इस कार्यवाही की चर्चा पूरे जिले में हो रही है। वहीं अन्य विभागों के मुखिया भी इस कार्यवाही को अपने यहां करने पर विचार करने लगे हैं। जिससे भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों में पिछले दो दिनों से हड़कंप मचा हुआ है। कलेक्ट्रेट के सूत्रों की मानें तो संभागायुक्त गुलशन बामरा ने पिछले दिनों कलेक्ट्रेट के राजस्व विभागों का औचक निरीक्षण किया था। संभवत: यह माना जा रहा है कि यह कार्यवाही उनके निरीक्षण के बाद ही की गई है।
जिन अधिकारी और कर्मचारी की सेवा बीस साल से ज्यादा हो गई है उनका सेवा रिकार्ड भी चैक किया जा रहा है। जांच के दौरान अगर ये पाया जाता है कि न सिर्फ इनकी सेवा खराब है बल्कि ये किसी भी तरह के भ्रष्टाचार मे लिप्त है तो उनके खिलाफ तुरंत ही कार्रवाही की जाएगी और ये प्रक्रिया सतत जारी रहेगी।