कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानुपर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। कानपुर पुलिस का दावा है कि उन्होंने एटीएम हैकरों के ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जो एक छोटी सी डिवाइस के सहारे मशीन से रुपये निकाल लेता था। मशीन के नोट डिस्पेंसर और सेंसर के बीच डिवाइस फंसा देने से रुपये निकासी दर्ज नहीं हो पाती थी और बैंकों को चूना लग जाता था।

डीआईजी प्रीतिंदर सिंह ने गुरुवार को बताया कि गिरोह के तीन लोगों ने एक साल में करीब 5-6 करोड़ रुपये का बैंकों को चूना लगाया है। इस तरह के गैंग मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी ऐसे ही धोखाधड़ी करते थे।

बिहार से खरीदते थे डिवाइस
कानपुर पुलिस का दावा है कि उसने जितेंद्र, बजरंग बहादुर सिंह और मुजीबुद्दीन को एटीएम फ्रॉड के शक में हिरासत में लिया। पूछताछ में इन्होंने बताया कि बिहार से एटीएम हैक करने के लिए सॉफ्टवेयर और चिमटेनुमा डिवाइस खरीदते थे। किसी अनपढ़ व्यक्ति का एटीएम कार्ड लेकर 500 रुपये निकाल लेते थे।

बैंक को ऐसे लगाते थे चूना
इस दौरान मशीन के नोट डिस्पेंसर को डिवाइस की मदद से बंद नहीं होने दिया जाता था। इसके बाद दोबारा 10 हजार या ज्यादा रकम निकाली जाती थी। नोट डिस्पेंसर ऊपर आने पर डिवाइस में फंस जाता था और सेंसर इसे पकड़ नहीं पाता था। इस तरीके से दोबारा भी रुपये आरोपियों के हाथ में आ जाते थे, लेकिन जिस शख्स का एटीएम कार्ड होता था, उसमें ट्रांजेक्शन डिक्लाइन का मेसेज आता था और असली चूना बैंक को लगता था।

जहां गार्ड नहीं होते थे, उस एटीएम को बनाते थे निशाना
यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती थी। इस गड़बड़ी का पता तब चलता था, जब एटीएम में कैश लोड करने वाली कंपनी के कर्मचारी बचे हुए रुपयों का निकासी से मिलान करते थे। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे एनसीआर और उन कंपनियों के एटीएम ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, जहां गार्ड नहीं होता है।

कई गाड़ियां खरीदी हैं आरोपियों ने
दिसंबर-2019 में कानपुर के नौबस्ता में आईडीबीआई बैंक के एटीएम से 9500 रुपये चोरी करने की एक एफआईआर भी दर्ज हुई थी। एटीएम से गलत तरीके से निकाली गई रकम से इन्होंने कई गाड़ियां भी खरीदी हैं।

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