इन्दौर। जन्म के तुरंत बाद बच्चों का न रोना और प्रीमैच्योर डिलेवरी बच्चों में कई तरह की शारीरिक विकृति लाने के साथ मौत का शिकार भी बनाती है। मध्यप्रदेश में एक हजार बच्चों में से 39 पहली सांस ही नहीं ले पाने के कारण मौत के शिकार हो जाते हैं। कंगारू मदर केयर के माध्यम से न केवल इन बच्चों को बयाया जा सकता है, बल्कि हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर तेजी से बच्चों की मृत्युदर में कमी भी लाई जा रही है।

बच्चों की मृत्युदर कम होने का नाम नहीं ले रही है। इनकी संख्या कम करने के लिए अब इंदौर के डाक्टर नवजात बच्चों को कैसे रूलाया जाए, इसकी तकनीक सीख रहे हैं। जन्म के तुरंत बाद मां के शरीर की गर्मी देकर न केवल बच्चों को बचाया जा सकता है, बल्कि प्रीमैच्योर डिलवेरी के बाद मां की सुरक्षा दी जाए तो बच्चों के टेम्प्रेयर और ब्रेन के डेवलपमेेंट में तेजी से सुधार हो पाएगा। न्यूनेटोलॉजी फाउंडेशन समिति इंदौर की पांचवीं सेंट्रल झोंस एवं एमपी स्टेट कान्फ्रेंस में डाक्टरों को नई तकनीक से रूबरू कराया जा रहा है। कान्फ्रेंस के आर्गनाइजिंग चेयरपर्सन डा. वीपी गोस्वामी ने बताया कि साइंटिफिक तरीके से कैसे बच्चों के विकास में सुधार लाया जाए, यह सिखाया जा रहा है।

बच्चों की सुरक्षा को लेकर ट्रेनिंग
राजश्री अपोलो में एनआरपी टीओटी वर्कशॉप हुई। इसमें ट्रेनर्स को ट्रेनिंग दी गई। इंडेक्स मेडिकल कॉलेज में एडवांस एनआरपी वर्कशॉप का आयोजन किया गया। मीडिया को-ऑर्डिनेटर डॉ. श्रीलेखा जोशी ने बताया कि चाचा नेहरू हॉस्पिटल में न्यूरो डेवलपमेंट फॉलोअप और हाईरिस्क क्लिनिक वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें एनआईसीयू से डिस्चार्ज होने के बाद उनकी ग्रोथ पर नजर रखना और उनमें यदि किसी प्रकार का विकार है तो जल्दी पहचानने के बारे में बताया गया। जो शिशु दूध पीने के लायक नहीं है उसको किस प्रकार दूध शुरू किया जाता है इसके तरीके सिखाए जा रहे हैं। इसके साथ ही न्यू बॉर्न बच्चों को वेंटिलेटर पर रखते समय दी जाने वाली केयर के बारे में बताया गया। अरिहंत हॉस्पिटल में नियोनेटल नर्सिंग वर्कशॉप में नर्सेस को नवजात शिशु की देखभाल के बारे में बताया गया। वर्कशाप में मध्यप्रदेश के अलावा उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के डॉक्टर हिस्सा लेने के लिए आ रहे हैं।