लखनऊ। बुजुर्गों को परेशान करने वालों की अब खैर नहीं। ऐसे लोगों की समाज कल्याण विभाग के फील्ड रिस्पांस अफसर पुलिस के साथ मौके पर जाकर खबर लेंगे। प्रदेश के समाज कल्याण विभाग ने केंद्र सरकार की योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों का उत्पीड़न रोकने और उनकी अन्य समस्याओं के निराकरण के लिए हेल्पलाइन शुरू की है। इस व्यवस्था के तहत पुलिस और समाज कल्याण विभाग मिलकर कार्रवाई करेंगे।
परेशानी हो तो डायल करें 14567 : कोई भी परेशान बुजुर्ग एल्डर हेल्पलाइन के नम्बर 14567 पर सम्पर्क कर अपनी समस्या का समाधान करा सकता है। हेल्पलाइन पर बुजुर्गों की समस्या सुनकर सिर्फ उनकी काउंसिलिंग ही नहीं की जाती बल्कि फैसला हुआ है कि मौके पर समाज कल्याण विभाग के कार्मिक भेजे जाएंगे और बुजुर्ग से बात कर संबंधित रिश्तेदार, पड़ोसी, विभागीय अधिकारी से सम्पर्क कर समस्या का त्वरित समाधान कराएंगे। अगर किसी ने अभद्रता या मारपीट की है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। बुजुर्गों की तमाम तरह की बढ़ती समस्याओं का आलम यह है कि अभी शुरुआती दौर में इस नई हेल्पलाइन पर 800 से 900 मामले रोज दर्ज हो रहे हैं।
सुबह सात बजे से रात आठ बजे तक सुविधा: प्रदेश के समाज कल्याण राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण की पहल पर बीती 17 मई से शुरू हुई एल्डर हेल्पलाइन 14567 पर सप्ताह के सातों दिन सुबह सात बजे से रात आठ बजे तक सम्पर्क किया जा सकता है। यूपीकोन के सहयोग से संचालित इस हेल्पलाइन पर सम्पर्क कर बुजुर्ग प्रदेश के किसी भी हिस्से से अपने उत्पीड़न की शिकायत कर सकते हैं और साथ ही कानूनी मार्गदर्शन, भावनात्मक सहयोग प्राप्त कर सकते हैं। इस हेल्पलाइन पर कॉल कर वृद्धजन मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक और अन्य किसी भी तरह की समस्या को साझा कर सकते हैं।
35 फील्ड रिस्पांस अफसर तैनात: समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक और इस एल्डर हेल्पलाइन के प्रभारी अधिकारी कृष्ण प्रसाद ने बताया कि कुल 35 फील्ड रिस्पांस अफसर और इनके ऊपर फील्ड रिस्पांस लीडर तैनात किए गए हैं जो प्रदेश के विभिन्न अंचलों में तैनात हैं और हेल्पलाइन पर शिकायत मिलते ही मौके पर पहुंचेंगे। वृद्धजनों को पेंशन, पारिवारिक आदि समस्याओं के निराकरण के साथ ही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए यह हेल्पलाइन उपयोगी साबित होगी।
हेल्पलाइन से मिले तथ्य
– प्रतिदिन करीब 900 मामले दर्ज हो रहे हैं। लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, गोरखपुर जैसे बड़े शहरों से शिकायतें ज्यादा
-इनमें से ज्यादातर पारिवारिक उत्पीड़न, पेंशन जारी न होने, पेंशन के लिए केवाईसी की दिक्कत, जमीन जायदाद के झगड़े के
-पारिवारिक उत्पीड़न में अधिकतर बुजुर्ग द्वारा सम्पत्ति का बंटवारा कर देने के बाद संतानों व रिश्तेदारों द्वारा आपस में झगड़ना और फिर बुजुर्ग को प्रताड़ित करना
-अगर बुजुर्ग पुलिस कार्रवाई नहीं चाहते तो संतानों, रिश्तेदारों से लिखित में भविष्य में बुजुर्ग को परेशान न करने का आश्वासन लिया जाता है
– एक पखवारे से लेकर महीने भर तक वीडियो मंगवा कर मानीटरिंग की जाती है कि संबंधित परिजन बुजुर्ग को समय से खाना-पानी दे रहे हैं या नहीं, उन्हें फिर कोई परेशानी तो नहीं हो रही