नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर कोई नई बात नहीं है. यहां एनकाउंटर की ख़बरे अक्सर सामने आती रहती हैं. लेकिन जिस एनकाउंटर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, वैसा एनकाउंटर यूपी में पहले कभी नहीं हुआ. हम बात कर रहे हैं यूपी पुलिस के एक ‘आईजी’ के एनकाउंटर की. जब आप ये पूरी कहानी जान लेगें तो आईजी साहब की हकीकत भी आपके सामने आ जाएगी.

अनजान कॉलर- हैलो, एसओ साहब बोल रहे हैं?
एसओ- जी हां, बोल रहा हूं.
अनजान कॉलर- ज़रा रुकिए, आईजी क्राइम साहब बात करेंगे.
एसओ- जी.. जी.
आईजी- क्या जी जी? तुमने अपना सीयूजी वाला फोन ही ऑफ कर रखा है? ऐसे काम होगा?
एसओ- जय हिंद सर. वो सर नेटवर्क का प्रॉब्लम है. मैंने बंद नहीं किया है.
आईजी- चलो ठीक है, ये बताओ तुमसे कैसे बात होगी? कुछ जरूरी बात करनी है.
एसओ- सर, मेरा पर्सनल नंबर मैं शेयर करता हूं. या फिर सर आप अपना नंबर दे दें, मैं आपको अभी कॉल करता हूं.
आईजी- नहीं, नहीं.. तुम ही अपना नंबर दे दो.

फोन कॉल से शुरू हुआ खेल
इस कहानी की शुरुआत होती है कुछ ऐसे ही एक रैंडम टेलीफोन कॉल से. 23 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 17 मिनट पर ये कॉल फरह थाने के एसओ सुरेश चंद्र के मोबाइल फोन पर आती है. कॉल करने वाला शख्स खुद को आईजी क्राइम सुभाष कुंतल बताता है और साथ ही ये भी बताता है कि वो पुलिस हेडक्वार्टर लखनऊ से बोल रहा है. अब इतने बड़े अफसर की कॉल रिसीव करने के बाद कुछ देर के लिए तो एसओ सुरेश चंद्र भी सोच में पड़ जाते हैं. लेकिन इसके फौरन बाद बैक टू बैक आईजी क्राइम साहब तीन बार एसओ सुरेश चंद्र को कॉल करते हैं. और एक तेल माफिया के बारे में उनसे जानकारी लेते हैं.

तेल माफिया निशांत के बारे में पूछताछ
आईजी क्राइम सुभाष कुंतल, एसओ से वडोदरा के रहने वाले एक ऐसे तेल चोर के बारे में पूछताछ करते हैं, जिसे पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. असल में निशांत नाम का वो तेल माफिया रिफाइनरी की पाइप लाइन से तेल चुराने का खतरनाक काम करता है और जिसकी पुलिस को लंबे वक्त से तलाश थी. अब इस तेल माफिया के बारे में सारी जानकारी लेने के बाद आईजी उसके परिवार वालों के बारे में भी पता करते हैं और उनका नंबर मांगते हैं. इस पर एसओ बताते हैं कि अब निशांत के घरवालों का नंबर लेने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि निशांत को तो पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया है. इस पर आईजी क्राइम कुछ देर के लिए अटकते हैं, लेकिन फिर जवाब देते हैं कि अभी उसके घर वालों को भी गिरफ्तार करना बाकी है.

आईजी- हैलो, वो जो निशांत है न उसके बारे में और जानकारी जुटाओ.
एसओ- हां, सर.. उस पर तो काम चल रहा है, हमारी एक टीम मामले की तफ्तीश कर रही है.
आईजी- अच्छा, हम्म. अच्छा, मुझे निशांत के घर वालों का नंबर लेकर देना जरा.
एसओ- लेकिन सर, अब उसकी जरूरत नहीं है. मैंने निवेदन किया ना कि उसे तो हम गिरफ्तार कर चुके हैं.
आईजी- तुम्हें जितना कहा जाए, तुम उतना करो. सिर्फ निशांत को गिरफ्तार करने से नहीं चलेगा, हम उसके घरवालों पर भी कार्रवाई करेंगे, उन्हें भी गिरफ्तार करेंगे.

आईजी का सच जानकर उड़े पुलिस के होश
लेकिन आईजी क्राइम सुभाष कुंतल के बात करने का ये तरीका और निशांत के केस में उनकी जरूरत से ज्यादा दिलचस्पी लेने वाली बात एसओ सुरेश चंद्र के गले से नीचे नहीं उतरती और वो आईजी साहब के बारे में पता करने की कोशिश करने लगते हैं. अपने कुछेक साथियों से पूछताछ करने के बाद उन्हें जल्द ही पता चल जाता है कि इस नाम का कोई शख्स तो इस पद पर है ही नहीं. इस पर एसओ फरह अपने सीनियर अधिकारियों को इस टेलीफोनिक बातचीत के बारे में बताते हैं और मथुरा पुलिस की एक टीम अपने ही आईजी क्राइम के बारे में छानबीन शुरू करती है. लेकिन थोड़े ही हाथ पांव मारने के बाद जैसे ही पुलिस को इसका सच पता चलता है, खुद महकमे के अफसरों के भी होश उड़ जाते हैं.

ऐसे घेरे में आया आईजी के नाम से फोन करने वाला
पुलिस को पता चलता है कि ना तो इस नाम का कोई आदमी इस पद पर है और ना ही आईजी क्राइम की ओर से तेल माफिया निशांत के बारे में कभी कोई पूछताछ की गई है. यानी कोई ऐसा था, जो आईजी क्राइम से नाम से झूठी कॉल कर पुलिस की जांच और सरकारी काम में बाधा डालने की कोशिश कर रहा था. मामला संगीन था और अब पुलिस सच पता करने की कोशिश में लग चुकी थी. पुलिस ने उस नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया था, जिस नंबर से एसओ को फोन किया गया था. बुधवार यानी 25 अक्टूबर की शाम को इस नंबर की लोकेशन मथुरा के ही मगोर्रा इलाके में मिली. पिन प्वाइंट लोकेशन के सहारे पुलिस ने इस नंबर को कैरी कर रहे शख्स को घेर लिया और उसे खुद को कानून के हवाले कर देने की बात कही.

नकली आईजी का असली एनकाउंटर
चारों तरफ से पुलिसवालों से घिर जाने के बावजूद इस शख्स ने सरेंडर करने की जगह उल्टा पुलिसवालों पर ही गोली चला दी. और जैसा कि यूपी में हर दूसरे एनकाउंटर में होता है, यहां भी मथुरा पुलिस ने गोली चलाई और वो गोली उस शख्स की टांगों में लगी, जिसने पुलिस पर फायर किया था. यानी अब नकली आईजी क्राइम का असली एनकाउंटर हो चुका था. जी हां, ये वही शख्स था, जिसने दो दिन पहले ही मथुरा के फरह थाने के एसओ को फोन कर एक तेल चोर के बारे में जानकारी जुटाई थी और एसओ को हड़काने की कोशिश की थी.

नाम– राधेश्याम उर्फ सुभाष
पहचान– फ़र्ज़ी पुलिस अफसर
इल्ज़ाम– क़त्ल समेत 13 संगीन मुक़दमे, पुराना हिस्ट्रीशीटर

अकेले मथुरा में ही दर्ज हैं आधा दर्जन मामले
जी हां, यूपी का आईजी क्राइम बन कर पुलिस वालों को ही डराने की कोशिश कर रहा ये शख्स और कोई नहीं बल्कि यूपी पुलिस के बही खातों में दर्ज वो पुराना हिस्ट्रीशीटर था, जिस पर तमाम गुनाहों के 13 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. और इन गुनाहों में ठगी और धोखाधड़ी के कई मामले शामिल हैं. राधेश्याम उर्फ सुभाष नाम का ये वो हिस्ट्रीशीटर है, जो अक्सर फर्जी आईपीएस अफसर बन कर लोगों से ठगी और धोखाधड़ी करता है. और इस तरह बीसियों लोगों से लाखों रुपये हड़प चुका है. उसके खिलाफ दर्ज 13 मुकदमों में से 6 तो मथुरा में ही दर्ज हैं. लेकिन हद ये है कि वो हर बार जेल जाता है, जमानत पर बाहर आता है और फिर से जुर्म के रास्ते पर चल निकलता है, क्योंकि उसे ना तो जुर्म करने से डर लगता है और ना ही जेल जाने से.

भरतपुर का रहने वाला है फर्जी आईजी
राधेश्याम नाम का ये महाठग मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर का रहनेवाला है और उसके खिलाफ भरतपुर के उद्योगनगर थाने में हिस्ट्रीशीट खुली हई है. मथुरा और भरतपुर के अलावा जयपुर से लेकर जम्मू तक उसके खिलाफ कई मामले हैं. और साल 2014 में हुए एक ट्रिपल मर्डर के मामले में भी वो मथुरा के हाई-वे थाने का वॉन्टेड रहा है. लेकिन अब गोली लगने के बाद वो पुलिस के शिकंजे में आ चुका है. हैरान करने वाली बात ये है कि उसके पास से पुलिस को फर्जी आईपीएस के 21 से 22 विजिटिंग कार्ड, एक देसी पिस्टल, कारतूस, बिना नंबर की बाइक और दूसरी कई आपत्तिजनक चीजें बरामद हुई हैं.

ये थी फर्जी आईजी की मॉडस ऑपरेंडी
अब बात फर्जी आईपीएस राधेश्याम उर्फ सुभाष की मॉडस ऑपरेंडी की. ये महाठग बेहद शातिर दिमाग था. वो मथुरा, आगरा, भरतपुर में ऐसे मामलों की तलाश में रहता था, जिसमें आरोपी का ताल्लुक किसी बड़े परिवार से हो. उसकी गिरफ्तारी होते ही वह एक्टिव हो जाता था और उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा करता था. इसके बाद वो साजिशन उसके घर वालों को भी गिरफ्तारी का डर दिखाता, कभी जरूरत के मुताबिक कोई अफसर, कभी किसी अफसर का दोस्त, तो कभी कोई गुमनाम शख्स बन जाता था. इसके बाद वह उनसे मुकदमे न लिखने या जांच से नाम बाहर करने के नाम पर लाखों रुपये ठग लेता था. फिलहाल, पुलिस इस मामले में राधेश्याम से पूछताछ कर रही है. और उसे यकीन है कि इस मामले में अभी ठगी की कई कहानियां सामने आने वाली हैं.