नई दिल्ली: ह्यूमन ट्रैफिकिंग का एक हैरान करने वाला सामने आया है. इस ह्यूमन ट्रैफिकिंग का सरगना एक कपल है. कपल ने अपने घर में 15 महिलाओं को कैद करके रखा था. कपल इन महिलाओं से अपनी टेक कंपनी में बंधुआ मजदूरी करवाता था. मगर उसकी एक गलती ने सारा भंडा फोड़ दिया. कपल अब अब जेल की सलाखों के पीछे है. दरअसल, यह मामला अमेरिका के टेक्सास का है. अमेरिका की फेडरल पुलिस ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग का रैकेट चलाने के आरोप में कपल समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये चारों आरोपी भारत के रहने वाले हैं. इनमें से तीन तो तेलगू भाषी हैं.
सबसे पहले बात जान लेते हैं कि इन चारों के नाम क्या हैं. पुलिस ने जिन चारों को गिरफ्तार किया है, उनके नाम हैं- संतोष कतकूरी (31), उसकी पत्नी द्वारका गुंदा, डेजीरेड्डी चंदन (24) और अनिल माले (37). अब समझते हैं कि पूरा मामला क्या है. दरअसल, आरोपी संतोष कतकूरी के घर में 15 महिलाओं को कैद कर रखा गया था. ये महिलाएं उसकी कंपनी में प्रोग्रामर के तौर पर बंधुआ मजदूरी करती थीं. एक बार संतोष के पलंग में दीमक लग गया था. पलंग में लगे दीमक को हटाने के लिए एक टीम उसके घर पहुंची थी. पेस्ट कंट्रोल के लिए कंपनी की टीम जब आरोपी के घर पहुंची तो वहां का नजारा देख हैरान रह गई. टीम ने देखा कि हर एक कमरे में पांच-पांच महिलाएं फर्श पर सोई हैं.
पेस्ट कंट्रोल टीम को यह नजारा कुछ अटपटा लगा. उसे कुछ गड़बड़ी का शक हुआ. इस नजारे को देखकर दीमक हटाने वाली टीम चुपचाप वापस चली गई. उसने इसकी जानकारी पुलिस को दे दी. सूचना पाकर जब पुलिस की टीम मौके पर रेड मारने पहुंची तो उसके भी होश उड़ गए. पुलिस ने देखा कि एक-एक कमरे में पांच महिलाएं थीं. पुलिस जांच में सामने आया कि ये सभी महिलाएं संतोष की कंपनी में बंधुआ मजदूर की तरह प्रोग्रामर के रूप में काम करती थीं. इसमें उसकी पत्नी भी साथ दे रही थी. उसने अपनी पत्नी के साथ मिलकर एक कंपनी बना रखी थी.
पुलिस ने अपने बयान में कहा, ‘हमारी जांच में यह पाया गया कि कैद किए गए इन महिलाओं को संतोष कटकोरी और उसकी पत्नी द्वारका की स्वामित्व वाली फर्जी कंपनियों में प्रोग्रामर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था.’ रेड में पुलिस को लैपटॉप, सेलफोन, प्रिंटर्स और कई जाली दस्तावेज मिले.
यह घटना मार्च महीने की है. मगर पुलिस ने अब आधिकारिक बयान जारी किया है. संतोष ने मार्च में ही दीमक हटाने वाली कंपनी को अपने घर बुलाया था. उसी वक्त टीम ने पुलिस को इसकी सूचना दी थी. तब से ही पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है. पुलिस का कहना है कि यह ह्यूमन ट्रैफिकिंग का रैकेट है. इसमें तीन और लोग शामिल हो सकते हैं. हालांकि, अब तक उन महिलाओं के बारे में पता नहीं चला है कि वे कहां और किस देश से आई थीं. पुलिस इस गुत्थी को सुलझाने के लिए इलेक्ट्रोनिक गैजेट की जांच कर रही है. आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने ट्रैफिकिंग का मुकदमा ठोका है.