ग्वालियर । आईटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम एंड रिसर्च आॅन आर्किटेक्चर विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के समापन अवसर पर लखनऊ से आईं विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर पूजा सिंह मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुईं। इस अवसर पर आईटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर के प्रो-वाईस चांसलर एसके नारायण खेड़कर, डीन एकेडमिक डाॅ. रंजीत सिंह तोमर, स्कूल आॅफ आर्किटेक्ट प्रिया सेंगर सहित विभिन्न विभाग के प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और स्टूडेंट्स विशेष रूप से शामिल हुये।आईटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर में आयोजित फैकल्टी डेबलपमेंट प्रोग्राम एंड रिसर्च आॅन आर्किटेक्चर विषय पर आयोजित सेमिनार के समापन सत्र में मुख्य वक्ता प्रो. पूजा सिंह ने रिसर्च राइटिंग करना सिखाया। इससे पहले उन्होंने शोधार्थी और छात्र-छात्राओं से कहा कि किसी भी क्षेत्र में रिसर्च करने के लिये उम्र की कोई बाधा नहीं होती है। जरूरी होता है तो सिर्फ रिसर्च करने वाले की रूचि और जिस क्षेत्र में वह रिसर्च करना चाहता है उसके लिये जुनून की। उन्होंने कहा कि शोधकार्य के लिये यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि आपको पीजी करने के बाद ही इस फील्ड में आना चाहिये। उन्होंने कहा कि मैं जब फस्र्ट ईयर में थी उस समय ही मैंने शिक्षकों के मार्गदर्शन में रिसर्च करना शुरू कर दिया था। उस समय ही मेरा किया हुआ रिसर्च प्रकाशित भी हो गया था। आईटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर में आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम एंड रिसर्च आॅन आर्किटेक्चर विषय पर आयोजित सेमिनार के समापन सत्र में मुख्य वक्ता प्रो. पूजा सिंह ने कहा कि हम जब भी किसी विषय पर रिसर्च करते हैं, तो उसका टाइटल छोटा और आकर्षक होना चाहिये। इस बात को ध्यान में रखकर टाइटल का चयन बहुत ही गंभीरता के साथ करना चाहिये। उन्होंने कहा कि जन्म से लेकर अंतिम समय तक व्यक्ति हर दिन रिसर्च ही करता है। जब हम माॅर्निंग में उठकर किसी कार्य को करने जाते है वह भी एक तरह की रिसर्च होती है। हम क्या पकड़े पहनते हैं, स्कूल के लिये ड्रेस कोड अलग और पार्टी के लिये ड्रेस कोड अलग रखते हैं। यह भी एक तरह का रिसर्च ही हैं रिसर्च के क्षेत्र में जाने से पहले हमें अपने विषय से जुड़े हर पहलू को समझना चाहिये और बिना किसी संकोच के अपना ध्यान केंद्रित करते हुये रिसर्च करना चाहिये। हम दैनिक जीवन में जो भी करते हैं वह एक तरह की रिसर्च ही होती है। लेकिन जब हम दैनिक जीवन में किये गये कार्यों को एक-एक कर उन्हें शब्दों में पिरोकर राइटिंग करते हैं तो यह रायटिंग रिसर्च रायटिंग कहलाती है। क्योंकि रिसर्च के क्षेत्र में जो आपने देखा, जिसे आपने खोजा वही तो आप अपने पेपर में लिखते हैं। तो इस तरह आप जब किसी भी विषय या क्षेत्र में रिसर्च करें तो पूर्ण लगन और मेहनत के साथ कार्य करें। सफलता की सीढ़ी यहीं से होकर जाती है।