भोपाल। नगर निगम चुनाव में सात शहरों में महापौर का पद गवां चुकी भाजपा दस जिलों के मंत्रियों और प्रभारी मंत्रियों द्वारा चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगाने के बाद भी हार गई है। इसके साथ ही इन क्षेत्रों से भाजपा का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायकों को मिले वोट से कम वोट इस चुनाव में हासिल हुए हैं जो विधायकों और मंत्रियों के क्षेत्र में पार्टी की हार के रूप में गिनी जा रही है।
मेयर चुनाव में जिन मंत्रियों और प्रभारी मंत्रियों के क्षेत्र में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है, उसमें जबलपुर से गोपाल भार्गव, ग्वालियर से तुलसीराम सिलावट और प्रद्युम्न सिंह तोमर, सतना से विजय शाह, कटनी से जगदीश देवड़ा, रीवा से बिसाहूलाल सिंह, छिंदवाड़ा से कमल पटेल, सिंगरौली से बृजेंद्र प्रताप सिंह, मुरैना से भारत सिंह कुशवाह के प्रभार और विधानसभा वाले क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा भाजपा ने जिन पूर्व मंत्रियों और भाजपा विधायकों के क्षेत्र में कम वोट हासिल किए हैं, उसमें रीवा से राजेंद्र शुक्ला, सिंगरौली से रामलल्लू वैश्य, मुड़वारा (कटनी) से संदीप जायसवाल, उज्जैन उत्तर में पारस जैन के विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
पारस जैन के क्षेत्र में हारे उज्जैन के टटवाल
उज्जैन में भाजपा के मुकेश टटवाल को 134094 और कांग्रेस के महेश परमार को 133358 मत मिले हैं। यहां मेयर के क्षेत्र में दो विधानसभा आते हैं जिसमें उज्जैन उत्तर विधायक पारस जैन का क्षेत्र है। यहां भाजपा के मुकेश टटवाल को 70181 और कांग्रेस के महेश परमार को 81531 वोट मिले और यहां भाजपा हारी है। इसी तरह उज्जैन दक्षिण मंत्री डॉ मोहन यादव का क्षेत्र है और यहां कांग्रेस को 51765 वोट मिले हैं व भाजपा के मेयर कैंडिडेट को 63770 मत मिले हैं। यहां से भाजपा को बढ़त मिली है और इसके बाद भी मात्र 730 वोट से भाजपा जीत सकी है। पिछले विधानसभा चुनाव में उज्जैन उत्तर में भाजपा को 77271 और उज्जैन दक्षिण में 78178 वोट मिले थे और मेयर चुनाव में दोनों ही सीट पर भाजपा को पहले से कम वोट मिले हैं।
मुरैना में विधानसभा चुनाव की हार मेयर पर भी कायम
मुरैना में कांग्रेस की महापौर प्रत्याशी शारदा को 63222 और भाजपा की मीना देवी को 48591 मत मिले। यह केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र है। 2020 के विधानसभा उपचुनाव में यहां भाजपा को 46909 वोट मिले थे और कांग्रेस को कांग्रेस 53301 मतों से जीती थी। इसके पहले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा हारी थी। मुरैना में बीजेपी को विधानसभा चुनाव की तर्ज पर मेयर चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा। यहां से दिग्गज भाजपाई और निगम मंडल अध्यक्ष भी हार नहीं बचा सके।
देवास में कुल वोट कम पर जीत का जलवा कायम
देवास में बीजेपी की गीता अग्रवाल को 89519 और कांग्रेस की विनोदिनी को 43630 वोट मिले। महपौर चुनाव में यहां भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा 103456 वोट हासिल नहीं कर सकी क्योंकि देवास विधानसभा में ग्रामीण क्षेत्र भी शामिल है। यहां कांग्रेस को विधानसभा में 75489 वोट मिले थे। देवास में बीजेपी की जीत का जलवा कायम है।
आप ने अनारक्षित सीट पर डइउ को टिकट देने पर पाई जीत
सिंगरौली में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 36706 वोट मिले थे और इस चुनाव में भी आप से लड़ी रानी अग्रवाल को 32167 मतों से संतोष करना पड़ा था। सिंगरौली मेयर के लिए हुए चुनाव में रानी अग्रवाल (आप) को 34585 मिले और भाजपा को 25233 वोट मिल सके। बीजेपी को 4 साल पहले मिले चुनाव से 11 हजार कम वोट मिले। हासिल कर सकी। यहां भाजपा ने अनारक्षित सीट पर ओबीसी कैंडिडेट को टिकट दिया था और इसका गुस्सा लोगों ने आप की उम्मीदवार को जिताकर निकाला।
भोपाल में ऐसे घूमा मालती की जीत का पहिया
भोपाल में भाजपा की मालती राय को 461336 और कांग्रेस की विभा पटेल को 362488 मत मिले हैं। भोपाल में मंत्री विश्वास सारंग के क्षेत्र नरेला में महापौर प्रत्याशी रही मालती राय को 93698 वोट मिले जो यहां 2018 के विधानसभा चुनाव में मंत्री विश्वास सारंग को मिले वोट 108654 से कम थे लेकिन राय को यहां से लीड मिली है। भोपाल मध्य विधानसभा क्षेत्र में राय को 49436 मत मिले। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इस क्षेत्र से 61890 मत मिले थे और मेयर चुनाव में यहां बीजेपी को और भी नुकसान हुआ है। भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र में राय को 54760 मत मिले जो विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिले मत 55546 से कम थे। यहां से राय को 21126 वोट का घाटा हुआ है। गोविन्दपुरा विधानसभा क्षेत्र में 121451 वोट बीजेपी की महापौर प्रत्याशी को मिले जबकि विधानसभा चुनाव में जबकि कृष्णा गौर को 125487 वोट मिले जो कम थे लेकिन यहां से बीजेपी की मेयर प्रत्याशी को सबसे अधिक 64 हजार की बढ़त मिली। भोपाल दक्षिण पश्चिम विधानसभा में राय को 65219 मत मिले जबकि इसके पहले भाजपा प्रत्याशी को विधानसभा चुनाव में 60736 मत मिले थे। यहां से भी राय को लीड मिली है। हुजूर विधानसभा क्षेत्र में 74921 मतों के साथ राय को 35180 की लीड मिली। विधायक रामेश्वर शर्मा को यहां से 125487 वोट मिले थे।
भाजपा को 2018 की तुलना में इंदौर में कम मिले वोट
इंदौर में बीजेपी के पुष्यमित्र भार्गव को 593826 और कांग्रेस के संजय शुक्ला को 460359 वोट मिले हैं। इंदौर में विधानसभा एक में महापौर प्रत्याशी को 109576 और कांग्रेस को 93874 मत मिलेऔर अंतर 15702 का रहा। पिछले विधानसभा में यहां बीजेपी को 106392 वोट मिले थे और इस चुनाव में बीजेपी को फायदा हुआ। इंदौर विधानसभा दो में भाजपा को 116618 और कांग्रेस को 80619 मत मिले और अंतर 35999 का रहा। विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को 138794 वोट मिले थे और बीजेपी को मेयर चुनाव में यहां कम वोट मिले हैं। इंदौर विधानसभा तीन में महापौर प्रत्याशी को मिले मत 58446 और कांग्रेस को 54602 थे तथा अंतर 3844 का रहा। विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहां 67075 वोट मिले थे और मेयर चुनाव में वोट बढ़ने के बजाय घट गए। इंदौर विधानसभा चार में भाजपा महापौर प्रत्याशी को 95147 और कांग्रेस 54666 मत मिले तथा अंतर 40481 रहा। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहां 102673 वोट मिले थे, यहां भी बीजेपी को मेयर चुनाव में नुकसान हुआ है। इंदौर विधानसभा पांच में बीजेपी महापौर प्रत्याशी को 104775 और कांग्रेस को 110426 मत मिले तथा अंतर 5651 रहा। विधानसभा चुनाव में 117836 वोट भाजपा को मिले हैं जो मेयर चुनाव में कम रहे। विधानसभा राऊ में भाजपा महापौर प्रत्याशी को 75066 और कांग्रेस को 44189 मत मिले तथा 30877 रहा। यहां पिछले विधानसभा में भाजपा को 102037 वोट मिले थे। इसके साथ ही विधानसभा सांवेर और देपालपुर के भी कुछ हिस्से इंदौर मेयर के क्षेत्र में आते हैं। विधानसभा सांवेर में भाजपा महापौर प्रत्याशी को 12971 और कांग्रेस 7667 वोट मिले तथा अंतर 5304 रहा। विधानसभा देपालपुर में महापौर प्रत्याशी को मिले मत 19920 और कांग्रेस 13519 थे तथा अंतर 6401 रहा।
बसपा ने मारी सतना में सेंध, फिर भी जीते योगेश
सतना में बसपा ने वोटों में भारी सेंध मारी लेकिन यहां हुए मेयर चुनाव में भाजपा के योगेश ताम्रकार को 63292 और कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा को 38376 वोेट मिले और योगेश जीतने में सफल रहे। विधानसभा चुनाव 2018 में यहां कांग्रेस से विधायक बने सिद्धार्थ कुशवाहा मेयर के चुनाव में हार गए। सिद्धार्थ को विधानसभा चुनाव में 60105 और भाजपा प्रत्याशी को 47547 वोट मिले थे।
खंडवा में बीजेपी की जीत रही बरकरार
महापौरके चुनाव में खंडवा में अमृता यादव को 51925 और कांग्रेस की आशा को 32160 मत मिले हैं। यहां पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 77123 और कांग्रेस को 57986 वोट मिले थे। इस हिसाब से देखा जाए तो मेयर के इलेक्शन में दोनों ही दलों का वोट प्रतिशत बढ़ने के बजाय घटा ही है लेकिन भाजपा की जीत बरकरार है।
बुरहानपुर में कांग्रेस के वोट बढ़े पर चुनाव हारी पार्टी
बुरहानपुर में माधुरी पटेल भाजपा को 52823 और शहनाज बानो कांग्रेस के 52281 वोट मिले हैं। वे 542 वोट से जीत गई हैं लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस ने पिछले बार की अपेक्षा अधिक वोट हासिल किए हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा हार गई थी और निर्दलीय विधायक जीते थे। तब भाजपा को यहां 93441 और कांग्रेस को 15369 वोट मिले थे।
रतलाम में बीजेपी के वोट घटे, कांग्रेस के बढ़े, मेयर भाजपा का जीता
रतलाम में भाजपा के प्रहलाद पटेल को 76237 और कांग्रेस के मयंक जाट को 67646 वोट मिले हैं। यहां भाजपा के चैतन्य काश्यप की भूमिका मेयर को जिताने में प्रमुख रही। हालांकि शिवराज के मंत्री यहां चुनावी शोर थमने के बाद भी डटे थे और ऐसे में उन्होंने पार्टी की किरकिरी कराई थी लेकिन पार्टी जीतने में सफल रही। रतलाम में विधानसभा चुनाव में भाजपा को 91986 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस 48551 वोट हासिल कर पाई थी। इस लिहाज से देखा जाए तो भाजपा के वोट यहां घटे हैं और कांग्रेस के बढ़े हैं।
सागर में बढ़ा बीजेपी-कांग्रेस का वोट बैंक, जीत भाजपा ने दर्ज की
सागर में भाजपा का वोटबैंक पिछले विधानसभा चुनाव से अधिक रहा। मेयर चुनाव में सागर में भाजपा की संगीता तिवारी को 70653 और कांग्रेस की निधि जैन को 57939 मत मिले हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहां 67277 वोेट मिले थे जबकि कांग्रेस के हिस्से में 48861 वोट आए थे। दोनों ही दलों के वोट बढेÞ हैं और भाजपा जीतने में कामयाब रही।
मंत्री बिसाहू लाल के प्रभार के जिले रीवा में बीजेपी को मिली शिकस्त
रीवा विधानसभा में वर्ष 2018 में हुए चुनाव में भाजपा को 69806 मत मिले थे और राजेंद्र शुक्ला को जीत मिली थी। यहां तब कांग्रेस को 51717 मत ही मिल सके थे। करीब चार चाल के अंतर के बाद वोटर बढ़े लेकिन नाराजगी के चलते मतदान करने नहीं गए और जो गए वे भाजपा के बजाय दूसरे दलों को वोट कर लौटे। इसके चलते महापौर के चुनाव में बीजेपी को 37710 मत ही मिल सके जबकि कांग्रेस को विधानसभा और महापौर चुनाव में मिले मतों से ज्यादा अंतर नहीं रहा। यहां महापौर पद पर जीते अजय मिश्रा बाबा को 48011 मत हासिल हुए।
नाथ के गढ़ में भाजपा के वोट भी नहीं बढ़े, मेयर भी चला गया
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़Þा में कांग्रेस का मेयर बना है। छिंदवाड़ा में कांग्रेस के विक्रम अहाके को 64363 और भाजपा के अनंत धुर्वे को 60577 वोट मिले हैं। कांग्रेस पिछले विधानसभा उपचुनाव में यहां 104034 वोट लेकर जीती थी। पहले यहां दीपक सक्सेना जीते थे और बाद में कमलनाथ विधायक बने हैं। भाजपा यहां 89487 वोट ही विधानसभा में हासिल कर सकी थी और मेयर चुनाव में भी हार गई जबकि पिछले चुनाव में बीजेपी का मेयर था।
कटनी में बीजेपी के वोट में गिरावट
कटनी में महापौर की निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति सूरी को 45648 और भाजपा की ज्योति दीक्षित को 40361 वोट मिले। यहां भाजपा प्रत्याशी से बगावत का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। जीती हुई और पार्टी से घोषित दोनों ही प्रत्याशी भाजपा के ही कार्यकर्ता थे। विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहां 79553 वोट मिले थे। उसकी अपेक्षा पार्टी के खाते में आए वोट घटे हैं। हालांकि दोनों ही प्रत्याशियों को मिले वोट पिछले विधानसभा से ज्यादा होते हैं लेकिन परिणाम के तौर पर बीजेपी यहां हारी है।
जबलपुर में कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों ने डुबोयी बीजेपी की लुटिया
जबलपुर में कांग्रेस के जगत बहादुर सिंह अन्नू को 293192 और भाजपा के डॉ जितेंद्र जामदार को 248853 मत मिले हैं। यहां जो विधानसभा क्षेत्र जबलपुर मेयर के क्षेत्र में आते हैं, उसमें जबलपुर पश्चिम में भाजपा प्रत्याशी को 65400 और कांग्रेस के 66595 मत मिले हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां 63676 मत मिले थे। जबलपुर पूर्व में पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 55070 वोट मिले थे जबकि महापौर चुनाव में भाजपा को 50653 और कांग्रेस को 84213 मत मिले और यहां से कांग्रेस को भारी लीड मिली। जबलपुर उत्तर विधानसभा में मेयर के भाजपा प्रत्याशी को 60487 और कांग्रेस को 73367 मत मिले और कांग्रेस को यहां से लीड मिली। पिछले चुनाव में यहां 49467 वोट भाजपा को मिले थे। यहां पिछले चुनाव में भी बीजेपी हारी थी। जबलपुर कैंट में जितेंद्र जामदार को 42261 और अन्नू को 36418 मत मिले। यहां पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 71898 मत मिले थे और बीजेपी जीती थी। बीजेपी के मेयर यहां लीड लेने में सफल रहे लेकिन पिछले विधानसभा के बराबर वोट नहीं मिले। जबलपुर मेयर के क्षेत्र में पनागर और बरगी विधानसभा के भी कुछ हिस्से आते हैं। पनागर में बीजेपी के मेयर कैंडिडेट को 29946 और कांग्रेस को 25466 वोट मिले वहीं बरगी में बीजेपी को 3192 और कांग्रेस को 370 वोट मिले। जबलपुर कैंट और पनागर को छोड़ बाकी क्षेत्रों में बीजेपी प्रत्याशी कांग्रेस से पीछे रहे। यहां कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे तरुण भनोत, लखन घनघोरिया और विधायक विनय सक्सेना के क्षेत्र में कांग्रेस को बढ़त मिली जो जीत की वजह बनी।
दिग्गज नेताओं की मौजूदगी ग्वालियर में नहीं टाल सकी हार
ग्वालियर में महापौर प्रत्याशी कांग्रेस की शोभा सिकरवार 235154 और भाजपा की सुमन शर्मा को 206349 वोट मिले और जीत का अंतर 28805 का रहा। यह केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज कैबिनेट के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का गढ़ है। महापौर के क्षेत्र में आने वाले विधानसभा ग्वालियर पूर्व में कांग्रेस को 77973 और भाजपा को 58266 वोट मिले तथा अंतर 19707 का रहा। ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को 60439 और भाजपा को 57883 वोट मिले तथा अंतर 2556 रहा। ग्वालियर विधानसभा में कांग्रेस को 73581 व भाजपा को 67868 वोट मिले व अंतर 5713 रहा। इसी तरह ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा में कांग्रेस को 22531, भाजपा को 21859 वोट मिले। यहां अंतर मात्र 672 का रहा। इसके पहले 2020 के विधानसभा उपचुनाव में ग्वालियर पूर्व में बीजेपी को 65985 वोट मिले थे। भाजपा के कब्जे वाले मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के क्षेत्र ग्वालियर में 2020 के उपचुनाव में भाजपा को 94565 वोट मिले थे और यहां बीजेपी महापौर प्रत्याशी को हार मिली है। ग्वालियर दक्षिण में 2018 के चुनाव में बीजेपी को 56248 मत मिले थे।