सागर । न्यायालय-विषेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर आलोक मिश्रा की अदालत ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले आरोपी और तत्कालीन उप वन मंडल अधिकारी बंडा सागर, कैलाश वर्मा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-13(1)(ई) सपठित धारा 13(2) के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पच्चीस लाख रूपये अर्थदण्ड तथा भा.द.स. की धारा- 120बी के तहत 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000/-(पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड तथा यू सह-आरोपी और पत्नी शीला वर्मा को भा.द.स. की धारा- 120बी के तहत 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000/-(पॉच हजार रूपये ) अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया।मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी सहा. जिला अभियोजन अधिकारी ने की। 

यह है मामला : एक लाख की रिश्वत में हुए थे ट्रैप  और बरी भी हुए

लोक अभियोजन के अनुसार घटना संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक बालक सिंह ठाकुर एस.डी.ओ. लोक निर्माण विभाग बंडा जिला सागर द्वारा लोकायुक्त कार्यालय, सागर में की गई । लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत पर से दिनांक 12 सितंबर 2012 को अभियुक्त कैलाश वर्मा को 1,00,000/-रु. (एक लाख रुपये) की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था, जिसके संबंध में थाना वि.पु.स्था., भोपाल में अप क्र.177/12 लोकायुक्त डी.टी. कैलाश वर्मा के पंजीबद्ध किया गया था। ट्रेप के उक्त प्रकरण में अभियुक्त कैलाश वर्मा के रहन-सहन, शानो-शौकत व निवास पर विलासिता की सामग्री को देखते हुये अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने का संदेह होने पर ट्रेप कार्यवाही संचालनकर्ता निरीक्षक के. के. अग्रवाल द्वारा अभियुक्त के शासकीय आवास बण्डा पर दस्तावेजों व अन्य साक्ष्य की तलाश किये जाने पर 5,53,000/-रु. (पांच लाख तिरेपन हजार रुपये) नगद प्राप्त हुये, जिसके संबंध अभियुक्त कैलाश वर्मा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका।

अभियुक्त से पूछताछ व गोपनीय जानकारी के आधार पर अभियुक्त कैलाश वर्मा का एक भव्य मकान लालघाटी भोपाल, एक मकान भोई मुहल्ला बुधवारा में होने तथा अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने की जानकारी प्राप्त हुई। अभियुक्त कैलाश वर्मा द्वारा प्रथम दृष्टया अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करना पाए जाने से दि. 13.09.12 को शून्य अपराध कायमी अंतर्गत धारा 13 (1) (ई) सपठित धारा 13 (2) पर प्रकरण विवेचना में लिया गया, जिसे असल कायमी हेतु थाना विपुस्था, भोपाल भेजा गया (जिस पर से दिनांक 18.09. 2012 को अपराध कमांक 180/12 पंजीबद्ध हुआ)। ट्रैप के मामले में कैलाश वर्मा दोषमुक्त हुए थे।

अभियुक्त कैलाश वर्मा ने सहअभियुक्त शीला वर्मा के साथ मिलकर आपराधिक षड़यंत्र कर अनुपातहीन संपत्ति उसके नाम से भी अर्जित की है, जिसमें सहअभियुक्त शीला वर्मा का दुष्प्रेरण सहायता द्वारा रहा है। विवेचना के दौरान संकलित साक्ष्य के आधार पर दुष्प्रेरण सहायता द्वारा रहा है। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटनास्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-13(1)(ई) सपठित धारा 13(2) एवं भादवि की धारा- 120बी का अपराध आरोपीगण के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया ।