भोपाल । प्रदेश के तीन जिलों में आरक्षक और प्रधान आरक्षकों को कार्यवाहक प्रभार दिए जाने का मामला अटक गया है। दरअसल यहां पर पदोन्नति दिए जाने के अधिकार वाले अफसर का पद कई सालों से खाली पड़ा हुआ है। इस पद पर फिलहाल किसी अन्य अफसर के पास प्रभार भी नहीं हैं। अब प्रभार दिए जाने का प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय से शासन को भेजा गया है।
पूरे प्रदेश में आरक्षकों को प्रधान आरक्षक, प्रधान आरक्षकों को सहायक पुलिस उपनिरीक्षक बनाने का अधिकार डीआईजी के पास होता है। इन दिनों प्रदेश भर के सभी जिलों में आरक्षकों और प्रधान आरक्षकों को पदोन्नति दिए जाने का क्रम चल रहा है। पदोन्नति के मामले में अनूपपुर, शहडोल और उमरिया जिले के आरक्षक और प्रधान आरक्षक एक उच्च पद का प्रभार मिलने से फिलहाल वंचित रह सकते हैं। दरअसल इन्हें उच्च पद पर बतौर कार्यवाहक बनाने का अधिकार रेंज डीआईजी के पास होता है। तीनों जिले शहडोल रेंज में आते हैं। इस रेंज में डीआईजी का पद खाली है। ऐसे में तीनों ही जिलों में आरक्षकों और प्रधान आरक्षकों को उच्च पद पर कार्यवाहक बनाने का काम अटका हुआ है।
प्रभार का प्रस्ताव पहुंचा शासन के पास
पुलिस मुख्यालय तक यह बात पहुंच चुकी है। जहां से यहां के डीआईजी का प्रभार दिए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इस प्रस्ताव पर प्रभार बालाघाट रेंज के डीआईजी मुकेश कुमार श्रीवास्तव को दिया जा सकता है। इससे पहले शहडोल डीआईजी का प्रभार डीआईजी अनुराग शर्मा के पास था। उनका मार्च में भोपाल तबादला हो गया। उनके तबादला होने के बाद से शहडोल रेंज का प्रभार किसी अन्य रेंज के डीआईजी को नहीं दिया गया है।