ग्वालियर।  साध्वी सुश्री मंदाकिनी राजे ने कहा है कि प्रभु नाम का स्मरण करते हुए संसार से विदा लेने में ही मनुष्य जीवन की सार्थकता है। साध्वी सुश्री मंदाकिनी राजे आज श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन सितारवाली बगिया गीता कालोनी में आयोजित श्रीमद भागवत में श्रद्धालुओं को कथा श्रवण करा रही थीं।

उन्होने कथा के दूसरे दिन सुखदेव और परिक्षित के बीच हुए वार्तालाप के प्रसंग का उल्लेख किया। करते हुये कहा कि प्रभु नाम का स्मरण करते हुए संसार से विदा होना ही जीवन का कर्तव्य है। सुश्री राजे ने कहा कि भगवान की कृपा से ही संत महात्माओं का आगमन होता है। हम जब भी मंदिर संत और गुरू की शरण में जाये तो अपने अहंकार को छोडकर झुककर संत महात्मा एवं मंदिर में विराजित भगवान को प्रणाम करें। इससे मनुष्य का कल्याण का रास्ता दिखलाई पडेगा। उन्होने कहा कहा कि हमारा जीवन श्रेष्ठ विचार और सदाचार वाला होना चाहिये जो दूसरों के लिए जीता है वही श्रेष्ठ मनुष्य है।

इस अवसर पर कथा पारीक्षित एवं आयोजक धर्मशरण त्यागी जी महाराज, रावगोपाल सिंह, लाल सिंह, सुजान सिंह, हुकम सिंह, विजय सिंह एवं गणमान्य बंधू उपस्थित रहे।