आगरा।  कारोबारियों को हनी ट्रैप में फंसाने वाली युवती को ताजगंज पुलिस ने गुरुवार को जेल भेज दिया। अब सवाल है कि युवती द्वारा दर्ज कराए गए तीन मुकदमों के विवेचकों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी? जो साक्ष्य जमानत पर रिहा कारोबारी ने जुटाए वे विवेचक को नजर क्यों नहीं आए? तीन युवकों को आठ-आठ माह जेल में रहना पड़ा। पुलिस ने दो मुकदमों में दुराचार और एक मुकदमे में छेड़छाड़ और घर में घुसकर मारपीट की धारा में चार्जशीट लगाई थी। अब कोर्ट में अपनी ही चार्जशीट के खिलाफ रिपोर्ट दी है।

सिद्धार्थ नगर, गोबर चौकी निवासी रिंकू कुमार जूता कारोबारी है। उन्होंने युवती के खिलाफ हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। युवती तीन साल में तीन मुकदमे लिखा चुकी है। हाईकोर्ट के आदेश पर एसएसपी आगरा ने जांच कराई थी। रिंकू ने बताया कि विवेचक को युवती ने फर्जी नंबर दिया। विवेचक ने कॉल डिटेल का मिलान किया। पर्चे में दिया कि दोनों में बातचीत होती थी। एक पर्चे में लिखा कि उन्होंने युवती को फोन किया। उससे कहा कि घटना स्थल पर चलना है। नक्शा-नजरी बनानी है। युवती उन्हें घटना स्थल पर लेकर गई।

युवती ने जो कहा उसे सच मानकर चार्जशीट लगाई
हाईकोर्ट के आदेश पर जांच हुई तो पता चला कि युवती ने अपना जो नंबर विवेचक को दिया था वह फर्जी था। विवेचक ने भी बिना साक्ष्य संकलन युवती ने जो कहा उसे सच मानकर चार्जशीट लगा दी। रिंकू कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे को खारिज करने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है। पुलिस की नई जांच रिपोर्ट भी उसमें लगाई है। रिपोर्ट में पुलिस ने लापरवाही मानी है।

कोर्ट के आदेश पर खत्म होंगे मुकदमे
इंस्पेक्टर ताजगंज भूपेंद्र बालियान ने बताया कि पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की है। उसके आधार पर कोर्ट जो आदेश देगा पुलिस उस पर अमल करेगी। पुलिस कोर्ट में चार्जशीट पेश कर चुकी थी। इसलिए उन मुकदमों में अपने स्तर से अग्रिम जांच नहीं कर सकती।