सीहोर: तीन बेटों के होते हुए भी एक मां को दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. जब इस उम्र में बच्चों को मां का सहारा बनना चाहिए था, तब वे आपस में लड़ रहे हैं, और मां दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. अपनी पीड़ा लेकर एक बुजुर्ग महिला ने सीहोर एसडीएम कार्यालय में गुहार लगाई, जिसके बाद एसडीएम ने भरण-पोषण का आदेश दिया. जब बेटे ने आदेश का पालन नहीं किया, तो उसे जेल भेज दिया गया.
सीहोर जिला मुख्यालय के मुर्दी मोहल्ला गंज में रहने वाली वृद्धा मीराबाई ने एसडीएम तन्मय वर्मा से जीवन यापन के लिए भरण-पोषण की मांग की थी. उन्होंने बताया कि उनके तीन बेटे हैं, लेकिन कोई भी उन्हें अपने साथ रखने को तैयार नहीं है, जिससे वह अकेले रहने को मजबूर हैं. एसडीएम तन्मय वर्मा ने माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर बेटों को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया. कोर्ट ने सुनवाई के बाद तीनों बेटों को आदेश दिया कि वे अपनी मां को हर महीने 2000 रुपये भरण-पोषण के लिए दें.
लेकिन वृद्धा के दो बेटे कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे थे, जिससे परेशान होकर उन्होंने फिर से एसडीएम से शिकायत की. आदेश का पालन न करने पर एसडीएम ने भरण-पोषण अधिनियम के तहत दोनों बेटों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया. थाना कोतवाली पुलिस ने एक बेटे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जबकि बाकी दो बेटों को न्यायालय में हाजिर होने का आदेश दिया गया है. इस कार्रवाई से यह संदेश मिलता है कि माता-पिता की उपेक्षा करने वालों को कानून बख्शेगा नहीं. बुजुर्गों की देखभाल करना न केवल नैतिक बल्कि कानूनी कर्तव्य भी है. इस फैसले से अन्य लोगों को भी सबक मिलेगा कि माता-पिता के प्रति जिम्मेदारी निभाना आवश्यक है.