खंडवा के मेडिकल कॉलेज सह-जिला अस्पताल में पदस्थ स्टाफ नर्स को 21 घंटे डिजिटल अरेस्ट करने का मामला सामने आया है। महाराष्ट्र क्राइम ब्रांच से फर्जी फोन व वीडियो कॉल के जरिए आरोपियों ने नर्स को ड्रग्स की सप्लाई में तस्कर के साथ नाम आने की धमकी देकर उसके ही कमरे में बंधक बनाकर रखा। नर्स को पानी पीने के लिए भी मोबाइल के सामने से उठकर जाने नहीं दिया। हर कॉल का स्क्रीन शेयर करने के निर्देश आरोपियों ने नर्स को दिए। सायबर फ्राड में फंसी नर्स अपने ही घर में शुक्रवार दोपहर 2 बजे से शनिवार सुबह 11 बजे तक 21 घंटे मोबाइल के सामने बैठी रहीं।
इधर, नर्स के बाहर न आने से मकान मालिक और परिचित परेशान होकर जब दरवाजा पीटने लगे तो वह हिम्मत कर मोबाइल के सामने से उठी। नर्स ने अपने परिचित और मकान मालिक को पूरा घटनाक्रम बताकर रोने लगी। इसके बाद परिजन मामले की शिकायत करने एसपी कार्यालय पहुंचे। जहां सायबर क्राइम ब्रांच में लिखित में शिकायत की। पुलिस मामले की जांच कर रही है। इधर, सायबर फ्राड की सबसे ज्यादा घटनाएं अकेले रहने वाले नौकरीपेशा लोगों के साथ ही हो रही है। अभी तक अस्पताल में कार्यरत 5 डॉक्टर्स और 2 नर्स मामले की शिकायत पुलिस से कर चके है।
कैसे बचे, क्या करें, क्या न करें?
- साइबर अपराधी संपर्क करें तो जल्दबाजी न करे, न ही डरें।
- कुछ भी करने से पहले शांति से थोड़ा सोचें।
- कोई भी निजी या व्यक्तिगत वित्तीय जानकारी अनजान नंबर से आये फोन या वीडियो कॉल पर साझा न करें।
- दबाव में पैसा हस्तांतरित न करें। असली कानूनी प्रवर्तन एजेंसियां कभी तुरंत पैसा भेजने का दबाव नहीं डालती।
- कोई फोन पर या इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म से सीधे पैसा मांगे तो यह सीधे तौर पर घोटाला हो सकता है।