मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में जिला शिक्षा अधिकारी का एक आदेश इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। इस आदेश के तहत भिखारियों को तलाशने के लिए कुछ शिक्षकों और प्राचार्यों की ड्यूटी लगाई गई है। ये शहर में घूम-घूम कर भिखारियों को जोड़ेंगे। हालांकि इस आदेश को स्थानीय सांसद ने अनुचित ठहराया है, जिसके चलते डीईओ के सुर बदल गए हैं।
चंबल अंचल इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है। ऐसे में भिखारियों को तलाशने के लिए कुछ स्कूली शिक्षकों और प्राचार्यों की ड्यूटी लगा दी गई है। हालांकि इस काम में सरकारी विभागों के अन्य अधिकारी-कर्मचारियों की भी मदद ली जा रही है। जिला शिक्षा अधिकारी अजय कटियार ने यह आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार, हर दिन 9 घंटे तक शिक्षकों को भिखारियों खोजने का काम करना है। इस दौरान उन छोटे बच्चों को भी तलाशना है, जो या तो भीख मांगकर जीवन-यापन कर रहे हैं या माता-पिता उनसे भीख मंगवा रहे हैं। इस आदेश के माध्यम से ऐसे बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकेगा।
जिला शिक्षा अधिकारी ने जो आदेश जारी किया है, उसमें महिला-बाल विकास विभाग के विशेष अभियान का जिक्र किया है, जिसमें कुछ प्राचार्यों के साथ कुछ कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि भिक्षावृत्ति पर रोक लगाने और भिखारियों को मुख्य धारा में लाने के लिए यह काम शिक्षकों को सौंपा गया है। हांलकि वे मीडिया के समाने नहीं आए। वहीं दूसरी ओर इस आदेश को बीजेपी सांसद से लेकर कांग्रेस विधायक गलत बता रहे हैं। उनका कहना, इन्ही फैसलों के कारण शिक्षा का स्तर प्रदेश में गिर रहा है।
बहरहाल, इस आदेश के खिलाफ शिक्षकों में खासा आक्रोश है। उनका कहना है कि यह कोई पहला आदेश नहीं है। इससे पहले भी शिवपुरी में शराब ठेकों पर ड्यूटी, सामूहिक विवाह आयोजनों में भोजन परोसने और शिव महापुराण कथा में भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा चुकी है। ये सभी काम शिक्षा विभाग से जुड़े नहीं हैं। ऐसे में इस तरह के कामों में शिक्षकों की ड्यूटी लगाना उचित नहीं है।