भोपाल। राज्य पुलिस सेवा से आईपीएस बने करीब एक दर्जन अफसरों के जिलों में पुलिस अधीक्षक बनने के सपने पर पानी फिरा जा रहा है। इन अफसरों को आईपीएस बने लंबा समय हो गया है, लेकिन राज्य शासन ने इन्हें आईपीएस बनने के बाद फील्ड में पदस्थ नहीं किया। एक अफसर तो आईपीएस होने के बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर मैदान में जमे हैं, खास बात यह है कि उस जिले में उनके ही बैच के आईपीएस अफसर एसपी हैं।
सुशील रंजन सिंह को आईपीएस बने हुए करीब तीन साल के लगभग समय हो चुका है, इसके बाद अब तक उन्हें फील्ड में पोस्टिंग नहीं मिल सकी। इससे पहले वे कुछ जांच में फंसे हुए थे, इसके चलते उन्हें आईपीएस मिलने में भी कुछ ज्यादा समय लगा। वे लंबे अरसे से पुलिस मुख्यालय में ही पदस्थ हैं। इसी तरह विकास पाठक भी करीब दो साल पहले आईपीएस हो गए थे, लेकिन वे भी पुलिस मुख्यालय में ही पदस्थ हैं। पहले वे पुलिस कल्याण शाखा में पदस्थ थे, अब वे एआईजी नॉरकोटिक्स विंग में पदस्थ हैं। इनके अलावा एआईजी योजना निश्चल झारिया, रचना ठाकुर, संतोष कोरी, मनोहर सिंह मंडलोई, संजीव सिंहा और संजीव कुमार कंचन को भी मैदान में पोस्टिंग नहीं मिल सकी। इन सभी को लगभग आठ महीने आईपीएस बने हो चुके हैं।
एक ही बैच के एसपी-एएसपी
खरगौन जिले में एक ही बैच के एसपी और एएसपी हैं। दोनों ही अफसर राज्य पुलिस सेवा से आईपीएस बने हैं। यहां पर एसपी धर्मवीर सिंह हैं। जबकि एएसपी जितेंद्र सिंह पंवार भी उनके बैच के ही है। जितेंद्र सिंह पंचार दिसंबर में आईपीएस हो गए थे, लेकिन उसके बाद भी उनका तबादला खरगौन जिले से नहीं किया गया।