आज के समय में दुनीया इतना तेजी से बदल रही है जैसे कि हवा का रुख। अगर हम भारत की बात करे तो बहुत ही तेजी से डिजिटल इंडिया का रूप ले रही है। वर्तमान युग सूचना प्रौद्योगिकी यानी कंप्यूटर एवं मोबाइल का युग है। कंप्यूटर एवं मोबाइल ने सभी क्षेत्रों को कवर किया है। आज हर घर में एक से बढ़कर एक स्मार्टफोन है और लोग इसका खुलकर इस्तेमाल करते हुए नजर आ रहे है। लेकिन किसी भी चीज के अपने अच्छे और बुरे गुण होते है।

मोबाइल के बुरे गुण अब धीरे-धीरे दिखने लगा है। बता दें कि, मोबाइल के प्रति लोगों को प्रेम बढ़ता ही जा रहा है। लोग मोबाइल में ही अपना ज्यादातर समय बीता रहे है। ऐसे में लोग घर में रहकर भी अकेले रहने लगे है। जिसके कारण रिश्तों में दूरियां बढ़ती नजर आ रही है। मोबाइल जीवन में परिवार के सदस्यों से भी ज्यादा करीब होते दिख रहा है। शहरों के बाद अब ग्रामीणों में भी घट रहा आपसी मेलजोल।

शुगर और बीपी जैसी बीमारियां बढ़ी

आज लोग मोबाइल में इस कदर मगन हो गए है कि, खुद के लिए आराम और अपने लिए समय निकालना ही भूल जाते है। लोग खाना खाने के बाद तुरंत मोबाइल इस्तेमाल करने लग जाते है। टहलने के लिए जाना छोड़ देते है तब खाना डाइजेस्ट सही से नहीं हो पा रहा है। जिससे शुगर और बीपी जैसी बीमारियां बढ़ गई हैं।

बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक मानसिक रूप से मोबाइल की चपेट में आ रहे और भूलने की बीमारी बढ़ रही है। मोबाइल जीवन में परिवार के सदस्यों से भी ज्यादा करीब हो गया है। इस वजह से मोबाइल प्रेम के कारण आपसी प्रेम कम हो गया है और ऐसा लगता है कि हर कोई मोबाइल का आदी हो गया है। हाथ में मोबाइल फोन लेकर अकेले जिंदगी बिताने के दिन आ गए।

अकेलेपन की बीमारी

बीत रहे जीवन में जब आदमी मोबाइल को करीब करता है तो अकेलेपन की दुनिया में चले जाते हैं। घंटों बैठकर अपने मोबाइल फोन देखते रहते हैं। फिर मोबाइल देखता और देखते ही देखते खुद ही हँसना, आवाज आने पर भी ध्यान न देना, इतना ही नहीं सोते समय अपना मोबाइल फोन भी तकिये के नीचे रखकर सोते हैं।

इसके चलते अगले दस सालों में अकेलेपन की बीमारी और भी गंभीर रूप ले लेगी। अगर आप एक घंटे तक मोबाइल न उठाएं तो बेचैन हो जाते हैं। यह स्थिति मोबाइल के कारण है। यह मानसिक बीमारी को बढ़ावा देता है। इस बात से भी सचेत रहने की जरूरत है कि मोबाइल की आदत के कारण भविष्य में शरीर में आंखों से लेकर कान, दिमाग तक कैंसर हो सकता है। इसी वजह से मनोचिकित्सक हमेशा मोबाइल फोन से दूर रहने की सलाह देते हैं।

बेवजह फोन पर समय बर्बाद

मोबाइल के कारण स्ट्रेस बर्न आउट की स्थिति उत्पन्न हो गई। नींद की प्रक्रिया में खलल पड़ा। आरामदायक नींद के पहले चार घंटे बर्बाद हो जाते हैं। चलने-फिरने की मात्रा कम हो गई। आलस्य आ गया। किताबी पढ़ाई से विमुख हो गये। मोबाइल ने छुट्टियों का मजा भी छीन लिया है। मैदान का खेल खो दिया। अकेलापन बढ़ गया। अस्थिर रवैये के कारण आक्रामकता बढ़ी।

इसलिए इस लत से छुटकारा पाने के लिए परिवार में संवाद बढ़ाना चाहिए। माता-पिता को बच्चों के साथ परिवार के बारे में चर्चा करनी चाहिए। माता-पिता को बच्चों के साथ करियर पर चर्चा करनी चाहिए। बच्चों को परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना चाहिए। सलाह दी जाती है कि व्यायाम के साथ-साथ आउटडोर खेलों पर भी ध्यान दें और कोई शौक अपनाएं।

मोबाइल ज्यादा इस्तेमाल से होने वाली समस्याएं

रिश्तों में बढ़ेगी दूरियां
दोस्तों से आपसी मेल-जोल कम
खुद के लिए समय निकालना ही भूल जाना
खाना डाइजेस्ट सही से नहीं होना
शुगर और बीपी जैसी बीमारियां बढ़ना
भूलने की बीमारी बढ़ना
किसी आवाज आने पर भी ध्यान न देना
मोबाइल न मिलने पर बेचैन होना
अकेले में रहने की बीमारी
मानसिक बीमारी को बढ़ावा देना
शरीर में आंखों से लेकर कान, दिमाग तक कैंसर होने की सम्भावना
बेवजह समय बर्बाद करना
नींद न आने की समस्या
चलने-फिरने की मात्रा कम होना
आलस्य आ जाना
किताबी पढ़ाई से दूर हो जाना
मैदान का खेल छीनना
छुट्टियों का मजा भी छीनना