लंदन । अगर रात में बेहतर नींद नहीं आती है तो यह कई सारी शारीरिक और मानसिक समस्याओं की वजह बन सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग रात में ठीक से नहीं सो पाते हैं या कम नींद लेते हैं उनमें डिमेंशिया नामक बीमारी होने का रिस्क काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा भी कम नींद लेने से बॉडी क्लॉक पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसके कारण कई ऐसे कारण पैदा हो जाते हैं जो जल्दी मौत की वजह बनते हैं। पर्याप्त नींद इंसान के शरीर की जरूरत है। डॉक्टर भी सामान्य इंसान को 6 से 8 घंटे की नींद लेने की सलाह देते हैं। पर्याप्त नींद लेने से बॉडी क्लॉक सही रहती है और इसका प्रभाव हमारी पूरी जीवनशैली पर व्यापक तरीके से पड़ता है।

 इस सिलसिले में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन इंस्ट्रक्टर रेबिका रोबिन्सन का कहना है कि स्टडी में जो तथ्य सामने आए हैं उन्हें देखते हुए ऐसा लगता है कि हर रात की नींद हमारे जीवन के लिए बेहद अहम है। पूरी नींद लेने से हमारा न्यूरोलॉजिकल सिस्टम ठीक तरह से काम करता है और असमय मौत का खतरा भी काफी कम हो जाता है। विश्व भर में कम नींद लेने के कारण और डिमेंशिया के कारण जल्दी होने वाली मौतों के बीच की कड़ी एक्सपर्ट्स के लिए वाकई परेशान करने वाला है। वर्ल्ड स्लीप सोसायटी का इस सिलसिले में कहना है कि विश्व की 45 प्रतिशत जनसंख्या के लिए कम नींद लेना वाकई सेहत के लिए काफी खतरनाक है। रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि, 5 से 7 करोड़ अमेरिकी नागरिक स्लीप डिसऑर्डर, स्लीप एप्निया, इंसोमेनिया और रेस्टलेस लेग सिंड्रोम जैसी बीमारियों का शिकार है। सीडीएस ने इसे पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम करार दिया है। इसकी वजह है कि कम नींद लेने की इस समस्या का जुड़ाव शुगर, स्ट्रोक, कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों और डिमेंशिया से भी है। एक्सपर्ट्स ने इस स्टडी के लिए साल 2011 से 2018 के बीच कई लोगों की स्लीपिंग हैबिट का डाटा जुटाया और इसकी जांच की। यह बात सामने आई कि जिन लोगों की अनिद्रा की शिकायत थी उन्हें लगभग हर रात ऐसे परेशानियों को झेलना पड़ रहा था। 

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