भोपाल । सरकार अब पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में जल संसाधन विभाग में हुए घोटाले की फाइलें खोलने जा रही है। दरअसल, कमलनाथ सरकार में नियम विरुद्ध 850 करोड़ का एडवांस भुगतान कुछ कंपनियों को किया गया था। ईओडब्लू के हाथ घोटाले की नोटशीट लगी है जिसके आधार पर कई बड़े जिम्मेदार जांच की जद में आ जाएंगे।
जल संसाधन विभाग में हुए महा घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू ने तेज कर दी है। विभाग के इंजीनियर्स और अधिकारियों के खिलाफ पुलिस एफआईआर दर्ज करने की तरफ बढ़ रही है। ईओडब्ल्यू ने विभाग के ईएनसी राजीव कुमार सुकलीकर को नोटिस भेजकर बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था। लेकिन सुकलीकर ने आने में असमर्थता जाहिर करते हुए समय मांगा है। यह 3 हजार 333 करोड़ रुपए के टेंडर में निजी कंपनियों को 850 करोड़ का एडवांस भुगतान करने का मामला था। जल संसाधन विभाग से मिले दस्तावेजों की जांच में ईओडब्ल्यू को पता चला है कि विभाग के ईएनसी ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में तय शर्तों को बदलकर निजी कंपनियों को 850 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान कर दिया था। ईओडब्ल्यू के हाथ वो नोटशीट भी लग गई है जिसमें ईएनसी ने लिखा था कि शासन के निर्देशों के आधार पर अग्रिम भुगतान की अनुमति दी जाती है। अब ईएनसी से पूछा जाएगा कि शासन मतलब किसके निर्देशों के आधार पर उन्होंने भुगतान की अनुमति दी थी।
ऐसे हुआ खुलासा
जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एस एन मिश्रा ने इस घोटाले का खुलासा किया था। उनके अनुसार अगस्त 2018 से फरवरी 2019 के बीच सिंचाई प्रोजेक्ट के आधार पर बांध और हाई प्रेशर पाइप नहर बनाने के लिए 3333 करोड़ रुपए के सात टेंडर्स को मंजूरी दी गई थी। टर्न के आधार पर मंजूर टेंडर्स मुख्य रूप से बांध निर्माण और जलाशय से पानी की आपूर्ति के काम के लिए थे। इसके लिए निर्धारित प्रेशर पंप हाउस, प्रेशराइज्ड पाइप लाइन के साथ-साथ नियंत्रण उपकरण लगाकर पानी सप्लाई की जाना थी। उसी दौरान मुख्य अभियंता गंगा कहार रीवा सरकार के संज्ञान में ये बात लाए कि गोंड मेगा प्रोजेक्ट के लिए शासन के 27 मई 2019 के आदेश में पेमेंट शेड्यूल के नियम को शिथिल कर एडवांस भुगतान कर दिया गया। इसके बाद शासन ने इसकी छानबीन की तो पता चला शासन ने भुगतान के संबंध में ऐसी कोई छूट नहीं दी थी।
कई बड़े अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
इस एडवांस भुगतान में कई बड़े अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। विभाग के प्रमुख एस एन मिश्रा ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को इसकी जानकारी दी थी। जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास यह मामला आया तो उन्होंने जांच के आदेश दिए। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने इंजीनियर्स और अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए ईओडब्ल्यू को मंजूरी दी थी।