जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर कलेक्टर इलैयाराजा टी ने सिविल अस्पताल सिहोरा का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान वहां की व्यवस्थाओं को देखकर उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि आज तक इतना अव्यवस्थित अस्पताल नहीं देखा।

अस्पताल में 12 डाॅक्टर्स में से मात्र एक डाॅक्टर उपस्थित मिला, जिन्हें मरीजों के बारे में पता ही नहीं था। गायनिक वार्ड में डाॅक्टर नहीं होने पर संबंधित डाॅक्टर को फोन भी लगाया गया किन्तु उन्होंने फोन अटेंड ही नहीं किया।

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर के संज्ञान में यह बात सामने आई की डिलेवरी के बाद जच्चा-बच्चा को जल्दी ही डिस्चार्ज कर दिया जाता है। कलेक्टर ने कहा कि कम से कम 72 घंटे अस्पताल में उनकी देख-रेख होनी चाहिए। उन्हें 3 दिन के पहले डिस्चार्ज न करें। एनआरसी में बच्चों की देखभाल नहीं होने पर भी कलेक्टर ने शिशु रोग चिकित्सक को फोन लगवाया किन्तु वे लगातार दो दिन अनुपस्थित मिले व फोन ही अटेंड नहीं किये, जिस पर कलेक्टर ने सीएमएचओ, बीएमओ व सीएस को फोन लगाकर कहा कि तत्काल एनआरसी की व्यवस्था सुधारें।

एनआरसी में भर्ती एक बच्चा जिसे लगातार 5 दिन से बुखार आ रहा है फिर भी उसके समुचित इलाज नहीं होने पर कलेक्टर ने संबंधित डाॅक्टर को नोटिस देने के साथ उसके एक दिन का वेतन भी काटा।

कलेक्टर ने एनआरसी में बच्चों के नाप व वजन भी कराये साथ ही बच्चों की मां से स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक बात भी की। एनआरसी व अस्पताल के छतों में मधुमक्खियों के बड़े-बड़े छत्तों को देखकर कहा कि बच्चों को तत्काल शिफ्ट कर मधुमक्खियों के छत्तों को हटायें।