भोपाल। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान स्कूलों में कक्षाएं बंद होने और बाहरी गतिविधियों पर रोक के कारण बच्चों में तनाव और चिंताएं बढ़ गई थी। उनकी मेंटल हेल्थ और अच्छे स्वास्थ्य के लिए राज्य सरकार कक्षा छटवीं से बारहवीं तक की कक्षाओं के बच्चों का सर्वे कराएगी।
अपर मिशन संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र लोकेश जांगिड़ ने प्रदेश के सभी डाईट प्राचार्य और सभी जिलों के परियोजना समन्वयकों को इस संबंध में निर्देश जारी किए है। कोविड- 19 के पेंडमिक के दौरान जब शालाएं बंद थी उस समय विद्यार्थियों के लिए आॅनलाईन कक्षाएं संचालित की गई थी। उस दौरान परीक्षाओं को लेकर अनिश्चितता और कैरियर के भविष्य एवं लॉकडाउन के दौरान बाहरी गतिविधियों में रोक लगी होने से बच्चों में तनाव और चिंता देखी गई है। ऐसी स्थिति में उनके प्रति सहानुभूति और मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता है। केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया गया है। सभी राज्यों को केन्द्र सरकार ने मनोदर्पण लिंक भेजा है। इसमें सर्वे से संबंधित वीडियो और सर्वे हेतु विभिन्न चरण दिए गए है। इस डाटा का एनसीईआरटी विश्लेषण करेगा और आगामी वार्षिक कार्ययोजना निर्माण में आवश्यक गतिविधियां जोड़ी जाएगी। स्कूल शिक्षा विभाग बच्चों और उनके पालकों से अलग-अलग सवाल करेंगे।
उनसे पूछा जाएगा कि कोरोना महामारी के दौरान आए मानसिक तनाव को दूर करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते है। कोरोना से सेफ रहते हुए किस तरह शैक्षणिक और बाह्य गतिविधियों का संचालन किया जाए। पाठ्यक्रक को और रुचिकर बनाने के लिए क्या किया जाए। बच्चों से भी पूछा जाएगा कि स्कूलों को खोलने और उनमें किस तरह की गतिविधियों का संचालन वे चाहते है। इस सर्वे के हिसाब से अगले शैक्षणिक सत्र की वार्षिक कार्ययोजना तैयार की जाएगी। ताकि कोरोना के जारी रहने पर भी बच्चों और पालकों के मानसिक तनाव को कम कर उनके अच्छे स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जा सके।