आधार कार्ड की वैधानिकता पर शीर्ष अदालत में चल रही बहस के बीच बुधवार को केंद्र सरकार इसकी वैधता को लेकर पक्ष रखेगी। आधार को लेकर बीते दो महीने से कई पक्षों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है। खासतौर पर बायोमीट्रिक डेटा एकत्र करने के चलते निजता का उल्लंघन होने को लेकर चिंता जताई जा रही है। 17 जनवरी से चल रही सुनवाई के दौरान 19 दिन हुई बहस में सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान, कपिल सिब्बल, पी. चिदंबरम, गोपाल सुब्रमण्यन, केवी. विश्वनाथन, आनंद ग्रोवर, मीनाक्षी अरोड़ा, सजन पूवैय्या और सीयू सिंह ने आधार को लेकर अपने तर्क रखे हैं।
आधार का विरोध करने वाले पक्ष के मुख्य अधिवक्ता श्याम दीवान ने 7 दिनों तक बहस कर सुप्रीम कोर्ट को यह बताने का प्रयास किया कि यह किस तरह से सर्विलांस डिवाइस की तरह से काम करता है। उन्होंने कहा कि इसका सरकार की ओर से बेजा इस्तेमाल किया जा सकता है। दीवान के ही तर्क को मजबूती देते हुए सिब्बल ने कहा था, ‘1947 के बाज से यह अब तक का सबसे महत्वपूर्ण केस है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जो तय करेगा, वह इस पीढ़ी के लिए ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी महत्वपूर्ण होगा। यह भविष्य में नागरिकों की निजता को निर्धारित करेगा। सुप्रीम कोर्ट का आधार पर फैसला यह भी तय करेगा कि मूलभूत अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए या बर्बाद कर देना चाहिए।’
चिदंबरम बोले, आधार ऐक्ट को मनी बिल के तौर पर पारित करना गलत
यही नहीं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आधार विधेयक, 2016 को मनी बिल के तौर पर पारित किया गया है। इससे राज्यसभा इसमें कोई बदलाव नहीं कर सकती और न ही राष्ट्रपति इस पर आपत्ति जताते हुए दोबारा विचार करने के लिए लौटा सकते हैं। इसी मसले को एक नया मोड़ देते हुए मंगलवार को पूवैय्या ने कहा कि बायोमीट्रिक डेटा कलेक्शन में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जिस तरह से इसे स्टोर किया जा रहा है और उसे शेयर किया जा रहा है, वह नागरिकों के निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

जर्मनी के एक फैसले का दिया उदाहरण
उन्होंने 25 साल पुराने जर्मनी की एक अदालत के फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां सेंसस ऐक्ट, 1983 को इसलिए खारिज कर दिया गया क्योंकि उसमें निजी डेटा को स्थानीय प्रशासन के साथ शेयर करने का प्रावधान था। जर्मनी की अदालत ने कहा था कि हर नागरिक के पास सूचना को साझा करने या न करने का अधिकार है, जिसे खारिज नहीं किया जा सकता।

आधार में डेबिट/क्रेडिट कार्ड की तरह चिप का सुझाव
पूवैय्या ने सुझाव दिया कि आधार कार्ड में भी क्रेडिट और डेबिट कार्ड की तरह एक चिप लगाई जा सकती है। इससे आम लोगों के पास यह अधिकार होगा कि वे अपनी जानकारी साझा करने के लिए उस कार्ड को स्वाइप करें या न करें।

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