नई दिल्‍ली: भारत और पाकिस्‍तान के रिश्‍ते में आए तनाव का असर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) की मीटिंग में भी देखने को मिला। SAARC की मीटिंग के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी से कोई बातचीत नहीं की। वहीं, जब मीटिंग में कुरैशी के बोलने का समय आया तो सुषमा उससे पहले ही वहां से निकल गईं। इस पर कुरैशी ने नाराजगी जताई। न्यूयॉर्क में आयोजित SAARC में सुषमा स्वराज के भाषण के बाद कुरैशी को संबोधित करना था। लेकिन सुषमा ने अपना भाषण दिया और कुरैशी को सुने बिना ही अपने अगले कार्यक्रम के लिए निकल गईं।

कुरैशी को इस तरह सुषमा का वहां से जाना पसंद नहीं आया और वे भड़क गए। कुरैशी ने कहा कि अगर हम इस फोरम से कुछ चाहते हैं तो हमें साथ में आगे बढ़ना होगा, लेकिन यह क्या तरीका है? पाक विदेश मंत्री ने कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि सार्क की प्रगति में कोई बाधक है तो वह एक देश का रवैया है। वहीं, मीडिया के सवालों पर कुरैशी ने सुषमा का नाम लिए बिना ही कहा कि वे मीटिंग से चली गईं और हमारे बीच कोई बात नहीं हुई। हालांकि, मैंने उनका बयान सुना। सुषमा के इस तरह चले जाने पर कुरैशी ने कहा कि मैंने उनका भाषण सुना, जिसमें उन्होंने क्षेत्रीय सहयोग की बात की, लेकिन यह कैसे संभव है कि सभी आपको सुन रहे हैं और जब आपकी बारी आई तो आपने ब्लॉक कर दिया।

सुषमा ने उठाया आतंकवाद का मुद्दा
सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रहार करते हुुुए कहा कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी समूह सरकारी समर्थन से फल-फूल रहे हैं और ऐसे आतंकवादी संगठनों के बुनियादी ढांचे को नष्ट करना आतंकवाद से लड़ने की दिशा में पहला कदम होगा। उन्होंने कहा कि आंतकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए संयुक्त कार्रवाई के साथ काले धन को वैध बनाने, आतंकवादियों का वित्तीय मदद देने और उग्रवाद को रोकने के मसले पर विचार-विमर्श के लिए ब्रिक्स सम्मेलन बुलाया गया। उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठनों के बुनियादी ढांचे को नष्ट करना आतंकवाद से लड़ने के लिए पहला कदम होगा।

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