भोपाल। स्कूली शिक्षा के बाजारीकरण के दौर में स्कूलों ने बच्चों के बस्तों का बोझ तय मानकों से कई गुना तक ज्यादा बड़ा दिया है। इसको लेकर मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पहले कई बार जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर बच्चों के बस्तों का बोझ कम कराने के निर्देश दिए हैं। अब कहीं जाकर इस बात को संज्ञान में लिया गया है जिसके बाद मध्य प्रदेश में स्कूल बैग पॉलिसी नए सिरे से लागू की गई है। कक्षा पहली से लेकर कक्षा 12वीं तक के बच्चों के बस्ते का वजन तय कर दिया गया है।

आपको बता दें कि आयोग ने कहा है कि प्रायमरी में पढऩे वाले बच्चों बस्तों का वजन भारी भरकम है। कहीं-कहीं तो बस्तों में 20 से 30 किलो तक का वजन पाया गया है। यह भारत सरकार की निर्धारित मानकों का खुला उल्लंघन है। साथ ही बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ रहा है।

मध्य प्रदेश के सभी सरकारी और निजी स्कूलों के बच्चों को स्कूल बैग के बढ़ते हुए वजन से राहत मिलेगी। मध्य प्रदेश में स्कूल बैग पॉलिसी नए सिरे से लागू की गई है। कक्षा पहली से लेकर कक्षा 12वीं तक के बच्चों के बस्ते का वजन तय कर दिया गया है। महीने में छात्र-छात्राओं को एक दिन बिना बैग के स्कूल आना होगा. नई पॉलिसी के अनुसार पहली से पांचवी तक के बच्चों के बस्ते का वजन 1.6 किलोग्राम से 2.5 किलोग्राम होगा. छठवीं से सातवीं तक के छात्र-छात्राओं के स्कूल बैग का वजन 2 से 3 किलोग्राम रहेगा. आठवीं के बच्चों के स्कूल बैग का वजन 2.5 किलोग्राम से 4 किलोग्राम तक रहेगा. नौवीं और दसवीं के बच्चों का वजन 2.5 से 4.5 किलोग्राम तक होगा!

विदित हो कि बाल आयोग ने भारत सरकार द्वारा नवंबर 2020 में जारी की गई स्कूल बैग पॉलिसी का हवाला देते हुए कहा था कि पॉलिसी के अनुसार स्कूल बैग का वजन बच्चों के बजन से 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए( जबकि निरीक्षण में सामने आया है कि प्रायमरी के बच्चों के स्कूल बैग का वजन उनके शरीर के वजन से 50 प्रतिशत या उससे भी अधिक है। ऐसे में इससे बच्चों शारीरिक विकास और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
यहां बता दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के साथ ही स्कूल बैग पॉलिसी 2020 लागू कर दी थी। पॉलिसी को लागू करने के संबंध में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रालय को निर्देशित किया था।

राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं
स्कूल बैग को लेकर राज्य सरकार ने कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। न ही सरकार की ओर से अभी तक स्कूल बैग को लेकर कोई कार्रवाई की है, जबकि प्रदेश में स्कूल खासकर निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के बैग का वजन पॉलिसी का खुला उल्लंघन है। खास बात है कि प्रदेश में कुछ ऐसे स्कूल भी हैं, जिनकी ओर से अतिरिक्त पाठय़क्रम भी दिया जाता है, जिसका वजन ही केंद्रीय स्कूल बैग नीति में निर्धारित स्कूल बैग के वजन से ज्यादा होता है।