नई दिल्ली । जी-20 समारोह में राष्ट्राध्यक्षों के साथ पहुंचीं उनकी पत्नियों ने शनिवार को पूसा इंस्टिट्यूट परिसर का दौरा किया। इस दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति ने बासमती चावल और रागी को खासा पसंद किया। पूसा इंस्टिट्यूट में मेहमानों को खेती और उससे जुड़े प्रयोगों से रूबरू कराया गया। साथ ही महिला किसानों ने उन्हें मोटे अनाज के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।
सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की पत्नी योको किशिदा और विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा की पत्नी रितु बंगा जी-20 में आए नेताओं की पत्नियों के साथ शनिवार को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा पहुंचीं। विदेश मंत्री एस जयशंकर की पत्नी ने उनका स्वागत किया। पूसा के बहुउद्देश्यीय सभागार में मोटे अनाज की प्रदर्शनी लगाई गई थी। सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति ने बासमती चावल और रागी को खासा पसंद किया। उन्होंने बताया कि इनका प्रयोग वे ब्रिटेन में भी करती हैं। उन्होंने पूसा के विशेषज्ञों से बासमती और रागी के बारे में पूरी जानकारी ली।
ये राष्ट्र अध्यक्ष पहुंचे
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक अधिकारी के अनुसार, हुमायूं का मकबरा देखने के लिए अब तक अर्जेंटीना और बेल्जियम के राष्ट्राध्यक्ष, यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधि, नीदरलैंड के मेहमान आ चुके हैं। बेल्जियम के राष्ट्राध्यक्ष ने लोधी गार्डन जाकर वहां स्थित स्मारकों के बारे में भी जाना। यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधि सफदरजंग मकबरा भी घूमने गए।
महिला किसानों से मिलीं मेहमान
महिला प्रतिनिधिमंडल के स्वागत के लिए मोटे अनाज से एक बड़ी रंगोली बनाई गई थी। इसे सभी ने सराहा गया। प्रदर्शनी में मोटे अनाज से जुड़े स्टार्टअप और देश में काम कर रहे किसान उत्पादक संगठनों के उत्पाद को प्रदर्शित किया गया। विदेशी मेहमान एक घंटे से ज्यादा समय तक परिसर में रहे। मध्य प्रदेश की आदिवासी किसान लहरीबाई समेत 20 महिला किसानों से उन्होंने मुलाकात की। 11 राज्यों से आईं ये महिलाएं मोटे अनाज की खेती करती हैं। महिला किसानों ने मेहमानों को मोटे अनाज की खेती के बारे में बताया।
अतिथियों की पहली पसंद बन रहा हुमायूं का मकबरा
अतिथियों की पसंद हुमायूं का मकबरा रहा। अर्जेंटीना सहित कई दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष हुमायूं के मकबरे का दीदार कर चुके हैं। शनिवार दोपहर दो बजे तुर्किये की प्रथम महिला एमीन एर्डोगन मकबरे के दीदार के लिए पहुंचीं। यहां उन्होंने करीब आधा घंटा बिताया। इससे पहले वह दोपहर 12 बजे कुतुबमीनार घूमने पहुंचीं। गेंदे के फूल की माला और पारंपरिक पगड़ी पहनाकर उनका स्वागत किया गया। कुतुबमीनार परिसर में वह लगभग एक घंटे तक रहीं।
फूलों की खेती को सराहा
आईएआरआई के निदेशक एके सिंह ने बताया कि प्रदर्शनी में मिलेट के अलावा डेयरी, मत्स्य पालन और फूलों की खेती को शामिल किया गया था। इनके बारे में विदेशी मेहमानों को बताया गया। प्रदर्शनी में फूलों की खेती को भी सराहा गया।