भोपाल। टाइगर स्‍टेट (tiger state) कहे जाने वाले मध्‍यप्रदेश में सर्वाधिक बाघों की संख्‍या है, लेकिन यहां मौतों का आंकड़ा भी अधिक है। यह खुलासा महालेखा परीक्षक कैग (Auditor General CAG) ने मध्‍यप्रदेश विधानसभा (Madhya Pradesh Legislative Assembly) में अपनी रिपोर्ट में किया है।

जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश विधानसभा का पांच दिवसीय मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया, लेकिन इसी बीच विधानसभा पटल पर भारत के नियंत्रण और महालेखा परीक्षक कैग ने अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें टाइगरों की मौ का जिक्र किया गया।

आंकड़ों के अनुसार टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में 2014 से 2018 के बीच 115 बाघों की मृत्यु हुई। इसमें सर्वाधिक 40 बाघों की मृत्यु आपसी संघर्ष के कारण हुई। बिजली के करंट से 16 बाघ और 21 तेंदुओं की मृत्यु हुई। बाघ संरक्षण के लिए दिसंबर 2007 से न तो बांधवगढ़ और न ही पन्ना टाइगर रिजर्व में कोई योजना थी। कान्हा, पेंच और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में से किसी ने भी विशेष बाघ सुरक्षा बल की स्थापना नहीं की।

यहां तक कि रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की मृत्यु दर सर्वाधिक रही। वहीं 2014 से 2018 के बीच तेंदूओ और बाघों की जो मौत हुई है उसका कारण कैग रिपोर्ट में बीमारी डूबने प्राकृतिक या अज्ञात कारणों से हुई बताया है। सात तेदुओं की मृत्यु सड़क और रेल दुर्घटना के कारण हुई बताया है।

यह अनुशंसा की
बाघ संरक्षण योजना और प्रबंधन योजनाओं के प्रति गतिविधियों पर राशि के आवंटन और उपयोग की निगरानी के लिए तंत्र स्थापित किया जाए।
जंगली जानवरों और रहवासियों की भलाई में बाधा ना आए।
शिकार और मौतों की अधिक घटनाओं के लिए सुरक्षा उपाय अपनाने हॉटस्पॉट की पहचान करना चाहिए।
विशेष बाघ संरक्षण बल की स्थापना की प्रक्रिया में तेजी लाना चाहिए।