नई दिल्ली। दुनियाभर में पिछले कुछ सालों से हार्ट अटैक के कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं जिससे मेडिकल साइंस के जानकार भी हैरत में हैं। तो वहीं इंसान के लिए डायबिटीज भी एक धीमा जहर है। अगर सही से देखभाल नहीं हुई तो इंसान कई और बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। लिहाजा देश भर में डायबिटीज यानी मधुमेह को लेकर लगातार रिसर्च किए जा रहे हैं।
आपको बता दें कि कई नौजवान और स्वस्थ लोग भी हार्ट अटैक(heart attack) के ऐसे शिकार हुए कि लोगों को इसकी उम्मीद नहीं थी। इसी कड़ी में अमेरिका (America) स्थित अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कम नींद या इसकी कमी अब आधिकारिक तौर पर हृदय (Heart) और उससे जुड़े रोगों के लिए एक जोखिम कारक है।
कम नींद लेना हार्ट अटैक को दावत देने जैसा
दरअसल, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) ने नींद से जोड़ते हुए ऐसे सात कारकों का उल्लेख किया है जिनमें शारीरिक गतिविधि, निकोटीन जोखिम, आहार, वजन, रक्त ग्लूकोज, कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप शामिल हैं। यह ऐसे कारक हैं जो हृदय रोग के लिए किसी भी व्यक्ति का मूल्यांकन करते हैं। इसी कड़ी में बताया गया कि कम नींद लेना हार्ट अटैक को भी एक प्रकार से दावत देने जैसा है।
छह घंटे से कम सोना बेहद खतरनाक
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की अधिकारिक वेबसाइट पर इस रिपोर्ट के बारे में विस्तृत तरीके से बताया है। शोध से पता चला है कि जो लोग रात में छह घंटे से कम सोते हैं, उनमें मोटापा, उच्च रक्तचाप, टाइप 2 मधुमेह और खराब मानसिक और संज्ञानात्मक स्वास्थ्य (Health) का खतरा बढ़ जाता है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डोनाल्ड एम लॉयड जोन्स ने कहा कि नींद समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और स्वस्थ नींद पैटर्न वाले लोग वजन रक्तचाप(weight blood pressure) या जैसी चीजों से बच जाते हैं।
वहीं अपनी एक रिपोर्ट में इंडियन एक्सप्रेस ने मुंबई के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ ब्रायन पिंटो के हवाले से बताया कि ने कहा कि दशकों से मैंने देखा है कि जो लोग दिन में कम से कम सात घंटे नहीं सोते हैं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक होता है। मरीजों को उनकी स्टॉक सलाह सात घंटे से अधिक लेकिन दिन में आठ घंटे से कम सोना है।
50 फीसदी मरीजों में डायबिटीज
डायबिटीज एक धीमा जहर है। अगर सही से देखभाल नहीं हुई तो इंसान कई और बीमारियों से ग्रसित हो जाता है।
लिहाजा देश भर में डायबिटीज यानी मधुमेह को लेकर लगातार रिसर्च किए जा रहे हैं। इसी कड़ी के तहत एक स्टडी में पता चला है कि जो लोग हार्ट अटैक का शिकार होते हैं उनमें से 50 फीसदी मरीजों में पहले से ही डायबिटीज होती है। हैरानी की बात ये है कि इसके बारे में मरीजों को पता नहीं होता है। ये स्टडी ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुई है। आमतौर पर ऐसे ब्लॉकेज को विज्ञान की भाषा में एसटी एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (STEMI) कहा जाता है।
स्टडी उत्तर भारत के 3523 मरीजों पर की गई। जनवरी 2019 से लेकर फरवरी 2020 के बीच स्टडी दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल और जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में की गई। इनमें सिर्फ 855 यानी 24 फीसदी मरीजों को पता था कि उन्हें डायबिटीज है. बाकी डायबिटीज को लेकर अंजान थे!
डायबिटीज की जानकारी नहीं
इतना ही नहीं इस स्टडी में कई और हैरान करने वाले नतीजे सामने आए हैं। ज्यादातर मरीजों को ये पता नहीं था कि उन्हें डायबिटीज है। बता दें कि डायबिटीज से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टर मोहित गुप्ता ने बताया कि जिन लोगों को डायबिटीज के बारे में पहले से जानकारी थी और जो लोग इसका ख्याल रख रहे थे उनमें हार्ट अटैक आने का खतरा कम हो जाता है.
जांच बेहद जरूरी
डॉक्टर मोहित गुप्ता के मुताबिक 18 साल से ज्यादा उम्मर के लोगों को समय-समय पर डायबिटीज की जांच करानी चाहिए. इससे हार्ट अटैक और बाकी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
ध्वनि प्रदूषण भी जल्द इसी सूची में शामिल होगा!
चौंकाने वाली बात यह भी है कि डॉ पिंटो ने कहा कि जिस तरह नींद को हृदय स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में मान्यता दी गई है, ध्वनि प्रदूषण को भी जल्द ही इसी सूची में शामिल किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत सहित अधिकांश देशों में हृदय रोग मृत्यु का नंबर एक कारण है।