भोपाल।  मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति के तहत ईओडब्ल्यू भ्रष्टाचारियों पर नकेल सकते हुए दिखाई दे रहा है। इस साल के महज नौ महीनों में उसने पिछले साल की एफआईआर दर्ज करने की संख्या को पछाड़ दिया है। इस साल सितंबर तक ईओडब्ल्यू में 93 एफआईआर दर्ज हो चुकी है।

ईओडब्ल्यू के डीजी अजय शर्मा के निर्देश पर इन दिनों पुराने मामलों की जांच को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। इनमें जांच के बाद या तो एफआईआर दर्ज की जा रही है या फिर इन्हें एफआईआर के योग्य नहीं माना जा रहा है। सितंबर में ही ईओडब्ल्यू की सभी यूनिट ने लगभग पचास पुरानी शिकायतों का निराकरण किया। जिसमें 13 प्रकरणों में एफआईआर दर्ज हुई जबकि बाकी के मामलों को जांच के बाद एफआईआर के योग्य नहीं माना गया। इस अभियान का यह फायदा हुआ कि ईओडब्ल्यू में जांच के लिए लंबित मामलों का निकाल तेजी से होने लगा। पुरानी सभी शिकायतों की जांच में जहां तेजी लाई गई, वहीं इस पर निर्णय भी होने शुरू किये गए। हालांकि ईओडब्ल्यू के पास जांच अधिकारियों की भारी कमी है। इसके बाद भी जांच में शिकायतों की जांच तेजी से की जा रही है।

किस वर्ष कितनी एफआईआर
पिछले पांच सालों में इस साल सबसे ज्यादा एफआईआर ईओडब्ल्यू में दर्ज की गई है। सितंबर तक 93 एफआईआर दर्ज हुई। जबकि पिछले साल यानी वर्ष 2021 में कुल 90 एफआईआर दर्ज हुई थी। इससे पहले वर्ष 2020 में महज 50 एफआईआर दर्ज की गई थी। वर्ष 2019 में 44 एफआईआर दर्ज हुई थी। जबकि वर्ष 2018 में सिर्फ 33 एफआईआर दर्ज हुई थी।

शिकायत आने के बाद जांच की जाती है जांच में जैसे तथ्य आते हैं उसके अनुसार यह तय होता है कि एफआईआर दर्ज हो सकती है या नहीं। हम पुराने मामलों के निराकरण में तेजी से काम कर रहे हैं। उनकी जांच पूरी करने के बाद यदि एफआईआर दर्ज करने लायक मामला होता है तो उस पर एफआईआर दर्ज करते हैं। पिछले साल और इस साल एफआईआर की संख्या तेजी से बढ़ी है।
अजय कुमार शर्मा, डीजी ईओडब्ल्यू