दमोह । मध्य प्रदेश के दमोह में हिंदू लड़कियों की हिजाब फोटो सामने आने के बाद गंगा जमुना स्कूल प्रबंधन नए-नए आरोपों में घिरता नजर आ रहा है। मध्य प्रदेश बाल आयोग की टीम ने अपनी जांच में गंभीर खामियां पाई है। स्कूल प्रबंधन पर साक्ष्य मिटाने का आरोप है। वहीं, मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग ने कई बिंदुओं पर जांच कराने के लिए दमोह पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखा है। जिसमें विदेशी फंडिंग की जांच भी कराई जाने की बात कही गई है।
स्कूल की मान्यता निलंबित, उर्दू भाषा की किताबें मिलीं
दमोह के गंगा जमुना स्कूल में टॉपर छात्राओं में शामिल हिंदू लड़कियों को हिजाब में दिखाया गया था। मामले में पुनः जांच के आदेश के बाद जांच में स्कूल प्रबंधन की गंभीर खामियां सामने आई है। इन आरोपों के चलते अब स्कूल पर बड़ी कार्यवाही तय मानी जा रही है। वहीं देर शाम संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग सागर में स्कूल की मान्यता को निलंबित कर दिया है। हालांकि इसके पीछे कारण व्यवस्थाओं की कमी बताई गई है। वहीं मामले की जांच करने पहुंची मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की टीम को जांच के दौरान स्कूल में उर्दू भाषा की किताबें और कई ऐसी खामियां सामने आई जो हैरान कर देने वाली थी। ऐसे में जांच टीम के सदस्य इसे शिक्षा से अलग और विवादास्पद बता रहे हैं।
प्रार्थना और ड्रेसकोड में बदलाव
स्कूल के संचालक मो. इदरीस खान मामले को तूल पकड़ता देख बैकफुट पर आ गया था। उन्होंने स्कूल में तथाकथित हिजाब की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। उसे ऐच्छिक किए जाने की बात कही गई। साथ ही साथ स्कूल में कराई जा रही प्रार्थना में भी बदलाव कर राष्ट्रगान को प्रार्थना में शामिल किया जाना बताया गया। हालांकि इस दौरान कई अन्य आरोपों पर वह जांच का हवाला देकर चुप्पी साध गए।
बाल आयोग ने एसपी को लिखा पत्र
दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल और पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह ने मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि जांच टीम सभी बिंदुओं पर जांच करेगी और जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार कार्यवाही की जाएगी। वहीं पूर्व में स्कूल प्रबंधन को क्लीन चिट दिए जाने की बात पर उनका कहना था कि प्रारंभिक जांच छात्राओं पर दबाव डाले जाने की बिंदु पर हुई थी जिस पर क्लीन चिट दे दी गई थी।इस दौरान राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने भी पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखते हुए आरोपी स्कूल प्रबंधन के विदेशी फंडिंग की जांच कर एफआईआर की बात भी कही है।