मुंबई । आरबीआई ने भारतीय बैंकों से अडानी ग्रुप और उनकी कंपनियों को दिए गए ऋण की संपूर्ण जानकारी मांगी है । अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार में हुई हलचल को देखते हुए खुद अडानी ग्रुप ने अडाणी एंटरप्राइजेस लिमिटेड का एफपीओ वापस ले लिया और अब अडानी ग्रुप को दिए गए ऋण को लेकर आरबीआई भी एक्टिव हो गया है।
शुक्रवार को अडानी द्वारा एफपीओ वापस लिए जाने के फैसले के बाद समूह की कंपनियों के शेयर्स में भारी गिरावट देखी गई । एफपीओ वापस लेने के फैसले को लेकर कंपनी ने कहा कि यह फैसला बाजार में अस्थिरता को देखते हुए लिया गया है। कंपनी ने कहा कि उनका उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा रक्षा करना है। अडाणी समूह एफपीओ का पूरा पैसा वापस करने जा रहा है।
गौतम अडानी ने एफपीओ वापस लेने के फैसले पर कहा कि इस फैसले से बहुत सारे लोग चौंक गए हैं। हमने बाजार के उतार-चढ़ाव को देखते हुए एफपीओ के साथ आगे बढ़ना नैतिक रूप से सही नहीं समझा। उन्होंने कहा, “मेरे लिए मेरे निवेशकों का हित सर्वोपरि है। इसलिए निवेशकों को संभावित नुकसान से बचाने के लिए हमने एफपीओ वापस ले लिया है।” उन्होंने कहा कि इस निर्णय का हमारी मौजूदा और भविष्य की योजनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बाजार में स्थिरता आने के बाद हम अपनी पूंजी और बाजार रणनीति की समीक्षा करेंगे।
दूसरी तरफ विपक्षी दल इस मसले पर अडानी समूह और मोदी सरकार को घेरने की तैयारी में लग गए हैं। गुरुवार को बजट सत्र के तीसरे दिन दोनों सदनों में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ, जिस वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी दल अडानी समूह की कंपनियों से जुड़े मामले में जांच की मांग कर रहे हैं।