लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में यूं तो अभी तीन-साढ़े तीन महीने बाकी हैं, लेकिन प्रियंका गांधी ने अभी से इसकी तैयारी शुरू कर दी है। लंबे समय से सूबे में सत्ता वापसी की आस लिए प्रियंका की बदौलत आक्रमक दिख रही कांग्रेस ने कमर कस ली है। हाल ही जब उन्होंने चुनाव में कम से कम 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने की घोषणा की, तो ऊपर से ‘सामान्य’ प्रतिक्रिया देने वाले विपक्ष को भी मानना पड़ा कि ‘फीमेल कार्ड’ प्रियंका का मास्टर स्ट्रोक है। महिलाओं में जोश भरने के लिए उन्होंने जोश भरा नारा दिया, ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं।’ पार्टी की ओर से चुनावी बिगुल फूंक कर उन्होंने जता दिया कि वे राजनीति भी समझती हैं और राजनीति के दांवपेच भी। यह पहली बार नहीं है कि किसी पार्टी ने ‘महिला कार्ड’ खेला है। बिहार में सुशासन बाबू भी यह कर चुके हैं। यानी यह आजमाया हुआ कारगर नुस्खा है, जो इस बार प्रियंका आजमा रही हैं। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश की राजनीति में महिलाएं पूरी तरह भागीदार होंगी, यह हमारी प्रतिज्ञा है।”
विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं और लड़कियों से राजनीति में आने और अपने हक की लड़ाई लड़ने का आह्वान करते हुए प्रियंका ने कहा कि देश भर की महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए एकजुट होना पड़ेगा। उन्होंने कहा, “जब कोई महिला अपने अधिकारों की लड़ाई लड़े तो सवाल उठाने की बजाए उसके साथ खड़ा होना चाहिए।” प्रियंका ने बताया कि 2019 में जब वह यूपी आई थीं तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की लड़कियों ने उन्हें बताया कि वहां लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग नियम हैं। इसे देखते हुए उन्हें लगा कि “महिलाओं को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आना होगा।”
इस अवसर पर उन्होंने कांग्रेस की सात प्रतिज्ञाओं की भी घोषणा की, जिसमें टिकट में महिलाओं की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी के अलावा लड़कियों को स्मार्टफोन और स्कूटी देने की बात भी शामिल है। महिलाओं के लिए की गई उनकी घोषणाओं ने प्रदेश और उसके बाहर सियासी हलचल मचा दी। कांग्रेसी नेताओं ने इसे पार्टी का तुरूप का इक्का कहा, तो विरोधियों ने महज चुनावी स्टंट करार दिया। प्रियंका की घोषणा को कोरी चुनावी नाटकबाजी बताते हुए बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कहा, “कांग्रेस जब सत्ता में होती है और इनके अच्छे दिन होते हैं तब इन्हें दलित, पिछड़े और महिलाएं याद नहीं आती हैं। अब जब इनके बुरे दिन जा नहीं रहे तब पंजाब में दलित की तरह यूपी में इनको महिलाओं की याद आई है।”
मायावती पूछती हैं कि अगर महिलाओं के प्रति कांग्रेस की चिंता इतनी ही वाजिब और ईमानदार होती तो केंद्र में इनकी सरकार ने संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून क्यों नहीं बनाया? वे कहती हैं, “कांग्रेस का स्वाभाव है, कहना कुछ और करना कुछ। यही बात इनकी नीयत और नीति पर प्रश्न चिन्ह खड़े करती है।” बसपा सुप्रीमो ने एक ट्वीट में कहा, “यूपी और देश में महिलाओं की आधी आबादी है। इनका हित और कल्याण ही नहीं बल्कि इनकी सुरक्षा और आदर-सम्मान के प्रति ठोस और ईमानदार प्रयास सतत प्रक्रिया है। इसके लिए मजबूत इच्छाशक्ति जरूरी है, जो कांग्रेस और भाजपा आदि में नहीं दिखती, जबकि बीएसपी ने ऐसा करके दिखा दिया है।”
विरोधियों की कटु आलोचना के बावजूद प्रियंका ‘महिला कार्ड’ खेलकर प्रदेश में भाजपा सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ के खिलाफ लड़ाई में सामने आ गई हैं। उनका कहना है कि योगी सरकार महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तीकरण जैसे मुद्दों पर असंवेदनशील है। राज्य सरकार के खिलाफ और कांग्रेस के समर्थन में जनमत तैयार करने में वे हाथरस और उन्नाव में बलात्कार और हत्या की घटनाओं का हवाला देती हैं। उन्होंने राज्य में ‘प्रतिज्ञा यात्रा’ की शुरुआत कर दी है और आगामी 31 अक्टूबर को योगी आदित्यनाथ के गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर में चुनावी शंखनाद करेंगी।