नई दिल्ली । कथित तौर पर फर्जी दिव्यांगता और ओबीसी सर्टिफिकेट के आधार पर सिविल सेवा में चयनित होने के आरोपों का सामना कर रहीं 2023 बैच की महाराष्ट्र कैडर की IAS अधिकारी पूजा खेडकर ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा है कि किसी तरह की जांच समिति का सामना करने को वह तैयार हैं। खेडकर ने कहा कि आरोपी बनाए जाने से पहले ही मीडिया ट्रायल चलाना और इसके जरिए किसी को भी गुनहगार साबित करना गलत है।
उन्होंने कहा, “हमारा भारतीय संविधान इस तथ्य पर आधारित है कि जब तक दोष साबित न हो जाए, तब तक कोई दोषी नहीं माना जा सकता। इसलिए, मीडिया ट्रायल के जरिए मुझे दोषी साबित करना वास्तव में गलत है। यह हर किसी का मूल अधिकार है। आप कह सकते हैं कि यह आरोप है, लेकिन इस तरह से मुझे दोषी साबित करना गलत है।”
सिविल सेवा में पद हासिल करने के लिए फर्जी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा और विकलांगता कोटे का गलत इस्तेमाल करने के आरोपों का सामना कर रहीं पूजा खेडकर ने सोमवार को कहा कि आरोपों की जांच कर रही केंद्रीय समिति के सामने पेश होने के बाद सच्चाई सबके सामने आ जाएगी। खेडकर ने वाशिम में संवाददाताओं से कहा, “मैं समिति के समक्ष गवाही दूंगी। मुझे लगता है कि समिति जो भी निर्णय लेगी, वह सभी को स्वीकार्य होना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “एक परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में अभी काम काम करना और सीखना है और मैं यही कर रही हूं। मैं इससे ज्यादा और कोई टिप्पणी नहीं कर सकती।”
पूजा से पहले उनके पिता और पूर्व ब्यूरोक्रेट्स दिलीप खेडकर ने रविवार को अपनी बेटी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है। पूजा हाल ही में तब सुर्खियों में आईं जब उन्होंने पुणे में अपनी तैनाती के दौरान कथित तौर पर अलग ‘केबिन’ और ‘स्टाफ’ की मांग की थी और उसके बाद उनका अचानक वाशिम जिले में तबादला कर दिया गया।
इसके बाद उन पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) (आठ लाख रुपये से कम वार्षिक आय) और दृष्टिबाधित श्रेणियों के तहत सिविल सेवा परीक्षा देकर और मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करके आईएएस में स्थान प्राप्त करने के आरोप लगे। उनके पिता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अधिकारी दिलीप खेडकर ने रविवार को एक मराठी समाचार चैनल से कहा कि वह वास्तव में गैर समृद्ध वर्ग (नॉन-क्रीमी लेयर) से संबंध रखते हैं।