भोपाल: मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार गठन के दो हफ्ते बाद सोमवार को मंत्रिमंडल का विस्तार होने जा रहा है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सुबह राज्यपाल मंगू भाई पटेल से मुलाकात की है और मंत्री पद की शपथ लेने वाले नेताओं की सूची सौंपी है. माना जा रहा है कि साढ़े तीन बजे राजभवन में करीब 28 मंत्री शपथ ले सकते हैं. मोहन कैबिनेट में जिन नेताओं को मंत्री बनाया जाना है उनके पास फोन पहुंचने लगे हैं.
मोहन यादव के अगुवाई में बनी बीजेपी सरकार में सीनियर नेताओं के साथ-साथ युवा चेहरों को भी मौका देकर संतुलन बनाने की कोशिश की जा रही है. कैबिनेट विस्तार कर जातीय और क्षेत्रीय समीकरण बनाने के साथ-साथ सभी गुटों को साधने की कोशिश की गई है. दिल्ली से मंत्रिमंडल में जिन नेताओं के नाम फाइनल किए गए हैं, उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर शिवराज सिंह चौहान तक के खेमे के नेताओं को जगह देने की संभावना है.
मोहन यादव के मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां राजभवन में की जा रही हैं. मोहन यादव की अगुवाई वाले मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल में दो उपमुख्यमंत्री- राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा पहले ही शपथ ले चुके हैं. माना जा रहा है कि इसके अलावा 28 मंत्री और भी शामिल किए जा सकते हैं, जिसमें 18 कैबिनेट, 4 राज्य मंत्री और 6 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए जाने की संभावना है.
मंत्रिमंडल में कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट का मंत्री बनना तय है. इसके अलावा राधा सिंह, राकेश सिंह नागर सिंह चौहान, प्रतिमा बागरी, शरद कौल, नरेंद्र शिवाजी पटेल, अर्चना चिटनिस, विश्वास सारंग और कृष्णा गौर को मंत्रिमंडल में शामिल करने की जानकारी दे दी गई है.
मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में अधिकतम 35 मंत्री बनाए जा सकते हैं. सीएम और दो डिप्टी सीएम पहले ही शपथ ले चुके हैं, जिसके बाद कैबिनेट में 32 मंत्री बनाए जा सकते हैं. ऐसे में शिवराज सिंह चौहान की जगह पर मोहन यादव को बीजेपी ने सत्ता की कमान सौंपी है, जिसके चलते शिवराज के करीबी नेताओं को भी एडजस्ट किया जाना है. इसके अलावा 2020 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में अपने करीबी नेताओं के साथ आए ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे को भी शामिल करना है. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने अपने कई दिग्गजों को भी चुनाव लड़ाया था, जिनमें से ज्यादातर जीतने में सफल रहे हैं.
मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए शिवराज से लेकर सिंधिया गुट तक को साधने का प्लान है. मंत्रिमंडल के लिए बताया जा रहा है कि दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व के द्वारा फाइनल हुए नामों में सिंधिया खेमे के चार से पांच विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है. सिंधिया खेमे के उन्हीं विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा जो शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट में मंत्री थे. 2020 में शिवराज सरकार में सिंधिया गुट के 10 मंत्री शामिल थे क्योंकि बीजेपी की सरकार को दोबारा से बनवाने में उनकी भूमिका अहम रही थी.
यही वजह थी कि उन्हें कैबिनेट में खास तवज्जो दी गई थी, लेकिन इस बार बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई है. ऐसे में बीजेपी के सामने सभी खेमे को साधे रखने की चुनौती है. इसके चलते ही सिंधिया गुट से 5 से 6 मंत्री बनाए जा सकते हैं तो शिवराज खेमे को भी तवज्जो देने की रणनीति है.
सिंधिया खेमे से तुलसी सिलावट, प्रद्युमन सिंह तोमर और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. वहीं , गोपाल भार्गव, कृष्णा गौर, रामेश्वर शर्मा, विश्वास सारंग, मधु वर्मा, रमेश मेंदोला, इंदर सिंह परमार, निर्मला भूरिया जैसे दिग्गजों के भी मंत्री बनाए जाने की संभावना है. तुलसी सिलावट, प्रद्युमन सिंह तोमर और गोविंद सिंह राजपूत 2020 में बनी शिवराज सरकार में भी मंत्री थे. एक बार फिर से उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है.
दिग्गज नेताओं में कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह और प्रहलाद पटेल का भी मंत्री बनना लगभग तय है क्योंकि तीनों ही नेताओं को फोन गया है. कैलाश विजयवर्गीय बीजेपी के महासचिव है तो प्रहलाद पटेल मोदी सरकार में मंत्री थे और राकेश सिंह सांसद रहे हैं. तीनों ही नेता विधायक बने हैं. ऐसे में तीनों को मोहन सरकार में मंत्री बनाने की रूपरेखा केंद्रीय नेतृत्व ने तय की है. ऐसे में तीनों ही नेताओं को पास फोन पहुंच चुके हैं.